मध्य प्रदेश के केंद्रीय कारागार के बंदीगण
बंदियों के व्यक्तित्व परिष्कार हेतु मध्यप्रदेश के जेल विभाग एवं
अखिल विश्व गायत्री परिवार का अनूठा अभियान
जीवन में हर व्यक्ति से गलती हो जाना स्वाभाविक है और उसका दण्ड भी हमें भोगना पडता है किंतु क्या एक बार गलती करने पर उन्हें हम समाज से वंचित कर देते हैं, नहीं, वे भी समाज का अंग हैं जो अपने अपराध से मुक्त होने के उपरांत पूर्ववत् सम्मान से जीने की आशा करते हैं।
समाज के ऐसे ही निरुद्ध वर्ग बंदी भाइयों बहनों के लोगों के जीवन को पुनः साफ सुथरा बनाने एवं भविष्य में एक अच्छा जीवन जीने के लिये तैयार करने का व्यापक अभियान इन दिनों मध्यप्रदेश के जेल विभाग एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार ने संयुक्त रूप से आरंभ किया है जिन्हें समाज बोझ समझता है एवं हेय दृष्टि से देखता है वे भी कभी हमारे जैसे ही सामान्य नागरिक थे। प्रदेश के जेल विभाग ने ऐसे निरुद्ध, सजा भुगत रहे बंदियों के लिये कारागार में रहते हुए अपने भावी जीवन का परिष्कार करने एवं समाज के जिम्मेदार नागरिक बनने हेतु व्यक्तित्व परिष्कार हेतु आध्यात्मिक प्रशिक्षण शिविर आरंभ किया है। प्रदेश के केन्द्रीय एवं सर्किल कारागारों में आध्यात्मिक संस्थाओं के सहयोग से अप्रैल 2024 से आगामी मार्च 2025 तक का पूरा कार्य कैलेंडर तैयार किया है। इसकी शासन स्तर पर समीक्षा करने के उपरांत अन्य कारागारों में भी शिविर चलेंगे। इसमें अखिल विश्व गायत्री परिवार को चार कारागारों - सर्कल जेल शिवपुरी जिसके समान में श्री डॉक्टर खरे, केन्द्रीय जेल उज्जैन समन्वयक डीके श्रीवास्तव , केंद्रीय जेल बडवानी के महेंद्र भावसार और सतना जेल के श्री तिवारी को यह शिविर चलाने हेतु दायित्व दिया है।
इन शिविरों में बंदियों के विचारों में सकारात्मकता बढाने, आत्मविश्वास उत्पन्न करने, मन की शांति, एवं अपने भावी जीवन के लिये तैयारी करने के उद्देश्य से विविध विषय पढाये एवं गतिविधियां कराई जायेंगी। कारागार के अधीक्षक, जेलर एवं अन्य पदाधिकारी इसके समन्वयक होंगे जो संस्थाओं को आवश्यक अधोसंरचना उपलब्ध करायेंगे। प्रति माह कुल दस दिन चलने वाले सत्रों में महिला एवं पुरुष दोनों वर्गों को पृथक से प्रशिक्षण दिया जायेगा।
जीपी सिंह महानिदेशक जेल एवं सुविधारात्मक सेवाएं मुख्यालय भोपाल का कहना है की इस आध्यात्मिक प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक साधनों के माध्यम से विरुद्ध बंदीजनो के आत्मिक आत्मिक, अवधारणा, स्वभाव और अंतर्मुखी विकास की दिशा धारा में प्रेरित कर उनकी आत्मा की उससे जुड़े आनंद और शांति को अनुभव कराने उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन को प्रोत्साहित करने एवं आध्यात्मिक प्रशिक्षण के माध्यम से बंदी अपने मन, शरीर ओर आत्मा के साथ संवेदनशीलता ,संतुलन और समर्थ का अनुभव कर सके और समाज में सकारात्मक सोच के साथ अपना योगदान देकर गरिमापूर्ण सम्मान के साथ जीवन जी सके। एम आर पटेल उपमहानिरीक्षक (कल्याण) ने सभी आध्यात्मिक संस्थाओं और सभी केंद्रीय जेल के अधीक्षकों के साथ समन्वय स्थापित कर प्रशिक्षण को मुहूर्त रुप दिया। एवं सतत संपर्क बनाए हुए हैं।
गायत्री परिवार के प्रदेश समन्वयक राजेश पटेल ने बताया कि हमारी संस्था जेलों में पहले से ही यह कार्यक्रम नियमित चला रही है। भोपाल,जबलपुर, उज्जैन, नर्मदापुरम, सागर एवं अन्य छोटी जेलों में नियमित कक्षायें, यज्ञ संस्कार, गायत्री मंत्र लेखन एवं सत्साहित्य की स्थापना सतत की जा रही है। स्थानीय कारागार प्रशासन के सहयोग से इनके अनेक सकारात्मक परिणाम देखे गये हैं। अब राज्य शासन द्वारा विधिवत व्यवस्था बना कर यह अभियान आरंभ किया है जिसकी हम प्रशंसा करते हैं। गायत्री परिवार ने इस कार्यक्रम हेतु प्रदेश उप-समन्वयक आर पी हजारी , सदानंद अंबेकर एवं गायत्री शक्तिपीठ भोपाल के रमेश नागर को इसके लिये उत्तरदायित्व दिया है। सदानंद अंबेकर ने गायत्री परिवार ने चारों जिलों में इस शिविर हेतु जिला समन्वयकों के लिये प्रशिक्षण एवं सबके लिये एकरूप पाठ्यक्रम एवं विषय सामग्री उपलब्ध कराई । आर पी हजारी ने बताया कि विगत 18 अप्रैल से हमें आवंटित कारागारों में ये शिविर विधिवत आरंभ हो गये हैं उन्होंने बताया कि एक दिन में कुल तीन घंटे का प्रशिक्षण होगा जिसमें मन को स्थिर करने, एवं चित्त की शांति हेतु ध्यान प्राणायाम सिखायेंगे, अच्छे प्रेरक विचार मिलें इस दृष्टि से जीवन को सही दिशा देने वाले विषय जैसे - आध्यात्म क्या है, ईश्वर कहां है कैसा है, मानव जीवन की गरिमा, महापुरुषों का जीवन, व्यक्तित्व परिष्कार के सूत्र, व्यसन मुक्ति आदि पर एक घंटे का प्रबोधन होगा, शरीर स्वस्थ रहे इसके लिये सरल योग प्राणयाम करवायेंगे एवं मन को प्रफुल्लित रखने हेतु सरल भक्ति संगीत सिखाया जायेगा। इसी के मध्य गायत्री मंत्र लेखन, अच्छी पुस्तकें पढने हेतु प्रशिक्षकगण प्रेरणा देंगे। इन सबके लिये उस स्थान के अनुभवी कार्यकर्ता भाई बहिनों को तैयार किया गया है। प्रेमलाल कुशवाह एवं श्रीमती विनीता खंडेलवाल द्वारा शिविर में बंदी जनों को पढने हेतु साहित्य,मंत्रलेखन हेतु पुस्तक आदि नि:शुल्क उपलब्ध की जाएगी।
संस्था के आध्यात्मिक प्रशिक्षण शिविर समन्वयक रमेश नागर ने यह कहा कि एक दो सत्रों के उपरांत चारों जिलों के प्रशिक्षकों की गोष्ठी लेकर इस कार्यक्रम की समीक्षा करेंगे बंदीजनों के अनुभव एवं संबंधित जेल अधिकारियों से चर्चा कर आवश्यकतानुसार आवश्यक सुधार भी किये जा सकते हैं। हमें विश्वास है कि प्रदेश सरकार के इस कल्याणकारी अभियान में हम अपनी भूमिका अच्छे ढंग से निर्वहन करेंगे एवं बंदियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अवश्य दिखाई देगा।
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