Ad Code

Responsive Advertisement

क्यों ना एक पत्रकार की भी सभी प्रोफेशनों की तरह एक फीस निर्धारित हो?

 *पत्रकारिता की पढ़ाई कर डिग्री लेने का क्या फायदा ?* 


 *क्यों ना एक पत्रकार की भी सभी प्रोफेशनों की तरह एक फीस निर्धारित हो?



आज के इस वर्तमान सामाजिक आर्थिक ताने बाने में अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की व्यावसायिक परीक्षा उत्तीर्ण करता है तो अधिकतर उसका मुख्य उद्देश्य समाजसेवा नहीं बल्कि आर्थिक रूप से सक्षम होना ही होता है।


जैसे कि अगर कम शब्दों में कहें तो कोई भी व्यक्ति मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी कर डॉक्टर बनता है तो उसे सरकार द्वारा यह लाइसेंस प्राप्त हो जाता है कि वह अपनी फीस निर्धारित कर मेडिकल प्रैक्टिस कर सकता है जिससे कि वह अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर सके।


एक दूसरी पढ़ाई की बात करें तो वह है एलएलबी यानी कि वकालत की पढ़ाई जो कि भारत के संविधान में वर्णित भारतीय न्याय संहिता की है जिसमें कि अनेकों धाराओं दण्ड प्रक्रियाओं की जानकारी होती है उसकी पढ़ाई होती है। 

व्यक्ति इस पढ़ाई की जो भी समय सीमा निर्धारित होती है उसको पढ़कर वकील बनता है और फिर सभी रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाओं का पालन करते हुए उसे भी अपनी फीस निर्धारित करने का एक अधिकार प्राप्त हो जाता है कि वह अपनी फीस लेकर सम्बन्धित आरोपी या फरियादी का मुकदमा अदालत में लड़ सके।

मतलब कि वह भी तमाम केस मुकदमा लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक ठाक चला सकता है।

बाकी और भी ऐसे तमाम प्रोफेशन और कार्यक्षेत्र हैं जिनकी पढ़ाई करके डिग्रीधारी अपना जीवन यापन कर सकते हैं।


आज हम आपको बताते हैं कि सबसे महत्त्वपूर्ण पेशा है पत्रकारिता का जहां पर आज के समय में कुछ एक संस्थानों को छोड़कर बाकी जगह नौकरी करने पर भी काम चलाऊ पेमेंट ही मिल पाती है जिससे कि पत्रकार साथी अपना घर परिवार चलाता है।

पत्रकारिता की डिग्री हासिल करने के बाद बाकी और प्रोफेशन की तरह उसको सरकार द्वारा कोई भी लाइसेंस नहीं जारी किया जाता है जिससे कि वह अपनी एक फीस निर्धारित कर सके।


एक बात यहां सोचनीय है कि अगर समाज में किसी भी व्यक्ति समूह या संगठन को अपनी मांगों और बातों को सभी के बीच में पहुंचाना है तो उसका माध्यम सिर्फ और सिर्फ पत्रकार ही होता है।

किसी भी प्रकार कि शासन प्रशासन से समस्या का समाधान करवाना हो तो थक हारकर व्यक्ति एक पत्रकार को ही अपनी व्यथा बताता है।

मतलब सभी प्रकार की समस्याओं का जब सम्बंधित विभाग या समूह द्वारा उचित समाधान नहीं होता है तो थक हारकर व्यक्ति एक पत्रकार का सहारा लेता है अपनी बात को आगे तक पहुंचाने के लिए जिससे कि उसकी समस्या का तत्काल समाधान हो सकता हो।


सीधे तौर पर देखा जाए तो पत्रकार एक ऐसा माध्यम होता कि समाज कि छोटी से छोटी जनसमस्याओं को उठाने का कार्य एक पत्रकार ही करता है।


अब अगर वह समाजसेवा कर रहा है तो किसी से भी वह खुले तौर पर उसके एवज में पैसे भी नहीं मांग सकता है जिससे कि वह अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा सके क्योंकि अगर वह ऐसा करता है तो उसे लोग शासन प्रशासन रिश्वतखोर, दलाल, फर्जी और तथाकथित जैसे शब्दों से नवाजना शुरू कर देंगे और हां गलती से भी उसने अपने इन कामों के बदले आर्थिक मांग में अड़ने की कोशिश किया तो उसको जीवनभर तमाम तरह के केस मुकदमों का सामना भी करना पड़ सकता है।


 *इन सब बातों को यहां लिखने का तात्पर्य मेरा सिर्फ इतना ही है कि जब सभी प्रकार के कामों के लिए व्यक्ति या प्रोफेशन को भुगतान किया जाता है तो फिर एक पत्रकार को उसके सहयोग या कार्य करवाने के लिए उसकी फीस का निर्धारण क्यों नहीं होता है?*

सन्तोष कुमार 

सम्पादक दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र एवं 

प्रांतीय मीडिया प्रभारी 

एमपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल 

9755618891, 9425163540

Post a Comment

0 Comments

Ad Code

Responsive Advertisement