वन्दना मानिकपुरी
अमन संवाद/डिंडोरी
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय स्थित जबलपुर बस स्टैंड की बेशकीमती जमीन पर अवैध दुकानों का निर्माण किया जा रहा है। उक्त भूमि पर वर्षों पुराना एक भोजनालय था जिसका किराया राज्य परिवहन को दिया जाता था उक्त भूमि राज्य परिवहन निगम की थी। पिछले कई वर्षों से उक्त टपरानुमा भोजनालय बंद सा है लेकिन भोजनालय के नाम पर इस कब्जे पर पिछले दिनों अचानक बड़े स्तर पर दुकानों का निर्माण कार्य शुरू हो गया। जिसमें 3 से 4 दुकानें और उसके पीछे नाले की जमीन पर कब्जा करके उस पर निर्माण किया जा रहा है। उक्त निर्माण को लेकर नगर परिषद का राजस्व अमला अपनी आंखे बंद किए हुए है जबकि जिला मुख्यालय के महत्वपूर्ण स्थल पर दिन दहाड़े निर्माण कार्य चल रहा है। राजस्व निरीक्षक से हमारे प्रतिनिधि ने चर्चा की तो उनका कहना था कि धारणाधिकार का पट्टा दिया गया होगा, पर स्वीकृत और प्रस्तावित नक्शे के आधार पर निर्माण होने की बात का सीधा जवाब देने की स्थिति में नहीं थे। कुल मिलाकर लेनदेन और नगर परिषद के संरक्षण में बेशकीमती भूमि पर कथित रूप से कब्जा कर दुकानों का निर्माण किया जा रहा है। उक्त भूमि राज्य परिवहन निगम की थी जिसे बस स्टैंड के साथ नगर परिषद को हस्तांतरित किया गया तो उक्त भूमि परिषद की हुई जिसका धारणाधिकार पट्टा किसकी स्वीकृति से दिया गया यह जांच का विषय है। सवाल यह भी है कि क्या धारणाधिकार पट्टे पर दुकानों का निर्माण करवा कर मार्केट बनाया जा सकता है? इसके साथ साथ किए जा रहे निर्माण स्वीकृत नक्शे के अनुरूप हो रहा है या नहीं, यदि नहीं तो नगर परिषद के जिम्मेदार अमले द्वारा उसे रोका क्यों नहीं गया।
उक्त अवैध निर्माण को रोकने हेतु पुरानी डिंडोरी निवासी नीलमणि चौधरी ने अनुविभागीय अधिकारी से शिकायत कर अवैध निर्माण को रोके जाने की मांग की है। अपने आवेदन में नीलमणि चैधरी ने बताया है पटवारी हल्का क्रमांक 67 रा.नि. म. डिंडोरी तहसील जिला डिंडोरी सीट क्रमांक 6 बी प्लाट नंबर 31/3 एरिया 900 वर्ग फुट जमीन है। जिस पर आलोक पाठक पिता छविलाल पाठक द्वारा जबरन कब्जा करके अवैध रूप से पक्का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। अतः धारणाधिकार के तहत दिए गए पट्टे की जांच कराकर देखा जाए कि उक्त निर्माण कार्य धारणाधिकार के नियमानुसार किया जा रहा है नहीं।
राज्य परिवहन निगम के बस स्टैंड परिसर की सम्पत्ति का मनमाना उपयोग और अवैध कब्जे हो रहे हैं। नगर परिषद को हस्तांतरण के नाम पर सिर्फ इसकी साफ सफाई और देखरेख की जिम्मेदारी भर सौंपी गई है। सूत्र बताते है कि राज्य परिवहन द्वारा निर्मित दुकानों की नीलामी के उपरांत दुकानों से निर्धारित मासिक किराया लिया जाता था किंतु पिछले कई वर्षों से परिसर के दुकानदारों द्वारा न तो राज्य परिवहन निगम को किराया दिया जा रहा है न ही नगर परिषद को जबकि उक्त समाप्ति नगर परिषद को हस्तांतरित किए जाने के बाद किराया परिषद को दिया जाना चाहिए। उक्त दुकानदारों के राज्य परिवहन निगम से किए गए अनुबंधों की जांचकर कर उसके आधार पर बकाया राशि की वसूली दुकानदारों से की जानी चाहिए।
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