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रची जा रही है पत्रकारों का मनोबल तोड़ने की साजिश


जब न्याय की कुर्सी किसी कारण सत्य से डगमगाने लगती है तो आमजन पत्र-पत्रकारों से उम्मीद करते हैं कि ये लोकतंत्र के सच्चे पहरी की भूमिका निभाएंगे। इन दिनों पत्रकारों के साथ घटित हो रहीं अमर्यादित घटनाएं लोकतंत्र के पहरेदारों का मनोबल तोड़ रहीं हैं। पत्रकारों के साथ घटित हो रहीं घटनाओं से सियासत की साजिश की बू आ रही है। पत्रकारों के साथ घटने वाली हर घटना के पीछे नेता का ही हाथ निकलता है।

पत्रकारों का मनोबल तोड़ने का एक कारण ये भी हो सकता है। पत्रकारों को इतना जलील किया जाये कि कलम के सिपाही किसी नेता या अधिकारी के खिलाफ खबर छापने या दिखाने ही हिम्मत न जुटा पाएं और वो अपनी मर्जी के मुताबिक कार्य कर सकें। उनकी कार्यप्रणाली पर कोई अंकुश लगाने वाला न हो। पत्रकारों में एकता न होने और आपसी मतभेदों का नेता भरपूर फायदा उठा रहे हैं। कुछ चापलूस पत्रकारों की वजह से दिन प्रतिदिन पत्रकारिता का स्तर गिरता जा रहा है। समय रहते इस और ध्यान नही दिया गया तो भविष्य में परिणाम और ज्यादा गंभीर निकलकर सामने आएंगे। पूरे देश में प्रतिदिन दस हजार से अधिक पत्रकार नेताओं और सरकारी कर्मचारियों से जलील होते हैं। हमें गलत सही और छोटे बड़े का भेदभाव ख़त्म करने के साथ ईंट का जबाब पत्थर से देने की हिम्मत जुटानी होगी। तभी पत्रकारिता की गरिमा को हम बरकरार रख पाएंगे।


सन्तोष कुमार 

Editor in chief 

Dainik Aman samvad newspaper Bhopal 

9755618891, 9425163540

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