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द्वितीय कबड्डी विश्वकप टूर्नामेंट में भारत विश्व चैंपियन

     


 

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   राष्ट्रीय खेल समीक्षक --इंदु शेखर त्रिपाठी 

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          भारत की मिट्टी में खेले जाने वाले खेल कबड्डी और खो-खो अब भारत की सीमा पार कर विदेश में लोकप्रिय हो रहे हैं। आज कबड्डी भारत के सभी राज्यों में खेला जाता है अमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया ने कबड्डी को देश में लोकप्रिय बना दिया है। कई दशक से कबड्डी एशिया महाद्वीप में लोकप्रियता के पैर पसार रहा है। यही नहीं पांच महाद्वीपों - एशिया, यूरोप, अफ्रीका, पैन अमेरिका और ओशेनिया में कबड्डी का प्रसार तेजी से हो रहा है। इंग्लैंड कबड्डी एसोसिएशन द्वारा इंग्लैंड के चार शहरों - बर्मिंघम, कोवेंटी , वालसाल और वोलवर हैंपटन मे द्वितीय कबड्डी विश्वकप टूर्नामेंट का आयोजन 17 मार्च से 23 मार्च तक किया गया जिसमें पुरूषों की नौ टीमें - गतविश्वविजेता भारत, हंगरी, इंग्लैंड , पोलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली, स्काटलैंड, वेल्स और हांगकांग ( चीन) और महिलाओं की छह टीमों - गतविश्वविजेता भारत, पोलैंड, हंगरी, इंग्लैंड, वेल्स और हांगकांग ( चीन) ने अपनी श्रेष्ठता और कला कौशल का प्रदर्शन किया। जर्मनी की पुरूष कबड्डी को भी भाग लेना था लेकिन किन्हीं कारणों से शामिल होने में असमर्थ रहीं। कबड्डी की पुरूष और महिला टीमों को दो -दो समूह में रखा गया।

 पुरुष वर्ग में अ समूह - हंगरी, इंग्लैंड, पोलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका,

ब समूह - विश्व चैंपियन भारत, इटली, स्काटलैंड और हांगकांग (चीन),

महिला वर्ग में स समूह - विश्व चैंपियन भारत, वेल्स और पोलैंड,

द समूह -  मेजबान इंग्लैंड, हंगरी और हांगकांग (चीन)।

कबड्डी विश्वकप टूर्नामेंट के मुकाबले राउंड रॉबिन और नाकआउट पद्धति से संपन्न हुए। जिसमें पुरुष वर्ग में सभी समूह की टीमें आपस में मैच खेलेंगी।

      कबड्डी विश्वकप टूर्नामेंट में परंपरागत तरीके से प्राचीन काल से खेलने वाला भारत कई  दशक से इंडोर स्टेडियम में मेट पर आयोजित किया गया। इंग्लैंड में भारतीय टीम मंथिराम अरुमुगम के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन किया और भारतीय रेडर्स और डिफेंस खिलाड़ियों की भूमिका जीत में अद्वितीय रही जिसमें भारतीय टीम ने फाइनल में मेजबान इंग्लैंड टीम को 44-41 अंक से हराकर विश्व चैंपियन का खिताब जीता। इसके पूर्व में भारत ने अपने समूह के मुकाबले में इटली को 64-22 अंक, वेल्स को 102-47 अंक, हांगकांग ( चीन) को 73-21 अंक से बुरी तरह हराया जबकि स्काट लैंड से 64-64 अंक से ड्रॉ रहा फिर क्वार्टर फाइनल में भारत ने हंगरी को 69-24अंक से पराजित किया। सेमीफाइनल में भारत ने वेल्स को 93-37 अंक से और इंग्लैंड ने स्काटलैंड को 84-36 अंक से हरा दिया। वहीं भारतीय महिला टीम का भी प्रदर्शन बहुत ही शानदार रहा जिसने फाइनल में मेजबान इंग्लैंड की टीम को 57-34 अंक से हराकर विश्व खिताब जीता। इसके पूर्व अपने समूह में पोलैंड को 104-15अंक से और वेल्स को 89-18अंक से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया जहां भारतीय महिला टीम ने हांगकांग (चीन) को 53-15 से हराया और मेजबान इंग्लैंड ने वेल्स को 72-25 अंक से पराजित किया। सबसे बड़ी बात यह है कि इंग्लैंड की पुरूष और महिला टीम में भारतीय मूल (केरल ) के अधिकांश खिलाड़ी हैं और पुरुष टीम का कप्तान हरिदीप सिंह हैं।

      पहला कबड्डी विश्वकप टूर्नामेंट मलेशिया कबड्डी संघ द्वारा मलक्का में 2019 में आयोजित किया गया।

यह करोना महामारी का काल था जब यह टूर्नामेंट 02 अप्रैल से 15 अप्रैल को संपन्न होना था लेकिन 20 जुलाई से 28 जुलाई तक संपन्न हुआ। जिसमें पुरुषों में आठ टीमें और महिलाओं में चार टीमों ने भाग लिया।  पुरुष वर्ग में भारत विश्व विजेता बना और ईराक उपविजेता और ताइवान तीसरे स्थान पर रहा। महिला वर्ग में भारत विश्व विजेता, उपविजेता ताइवान और तीसरे स्थान पर मलेशिया रही।

      परंपरागत कबड्डी खेल का सफर भारत से बाहर 1951 में प्रथम एशियाई खेलों में प्रदर्शन कार्यक्रम के रूप में खेला गया था। और फिर 1982 और 1990 में एशियाई खेलों में पहली बार पदक प्रतियोगिता बनने से पहले खेला गया था। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय खेलों में पुरुष और महिला वर्ग की प्रतियोगिता अलग अलग प्रारंभ हुई। भारतीय पुरुष टीम ने एशियाई खेलों में आठ बार स्वर्ण पदक विजेता बना जबकि एशियाई चैंपियनशिप में आठ बार (1980,1988,2000,2001,2002,2005,2017 और 2023) विजेता बना। यही नहीं तीन कबड्डी विश्वकप टूर्नामेंट 2004,2007 और 2016 में जीत कर विश्व विजेता बना।

महिला वर्ग में एशियाई खेलों में तीन बार ( 2010,2014 और 2022 में स्वर्ण पदक विजेता बना वहीं एशियाई चैंपियनशिप में चार बार स्वर्ण पदक विजेता का खिताब जीत लिया। यही नहीं पहली बार 2012 में भारतीय महिला टीम ने विश्व कप टूर्नामेंट जीता था। पुरुष वर्ग में अमन सहरावत और महिला वर्ग में रितु नेगी ने भारती टीम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विजय हासिल की है।

कबड्डी खेल की अंतरराष्ट्रीय नियामक संस्था अंतरराष्ट्रीय कबड्डी महासंघ ( आई.के.एफ.) ने विश्व कबड्डी महासंघ द्वारा कबड्डी विश्वकप टूर्नामेंट 2025 जोकि इंग्लैंड में खेला गया को मान्यता देने की निंदा की है इससे कबड्डी विश्वकप टूर्नामेंट पर प्रश्न चिन्ह लग गया है वह भी ऐसे समय में जब विश्व संस्था कबड्डी को ओलंपिक खेलों में प्रवेश हेतु कार्य कर रही है। सभी विश्व स्तर की संस्थाओं को एकजुट होकर कबड्डी की प्रगति में योगदान देना चाहिए। 2036 में भारत में ओलंपिक खेलों का आयोजन हो सकता है तब कबड्डी की अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को कार्य करना चाहिए।

भारत में कबड्डी एक प्राचीन काल का खेल माना जाता  है। कुछ लोगों का मानना है कि इस खेल का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से है और संभवतः इसका अविष्कार समूह के हमले से बचने के लिए किया गया था। प्राचीन तमिल साहित्य में ' हाडुडु ' सहित विभिन्नताओं से कबड्डी स्थानीय समुदायों में मनोरंजन और शारीरिक व्यायाम का रूप था। ईरानियों का मानना है कि इस खेल की उत्पत्ति उनके देश के सिस्तान क्षेत्र में हुई थी महाभारत काल में कुरूक्षेत्र युद्ध के दौरान कबड्डी खेला जाता था। इसलिए इसकी उत्पत्ति वैदिक काल ( 1500 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व के बीच ) में हुई थी।

भारतीय उपमहाद्वीप में कबड्डी अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न नामों से प्रचलित रही है। इसलिए पश्चिम भारत में हूतूतू , पूर्वी भारत में हाडोडो , दक्षिण भारत में चेदू चेदू , श्रीलंका में गूडू और थाईलैंड में थीचुब कहा जाता है। वैसे तो बंगलादेश का राष्ट्रीय खेल कबड्डी ही है।

भारत में भारतीय अमेच्योर कबड्डी फेडरेशन की दशकों से भारतीय राज्यों में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन कर रही है। हरियाणा कबड्डी का सबसे विकसित राज्य माना जाता है। यही नहीं पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात में कबड्डी बहुत लोकप्रिय है । इन राज्यों के खिलाड़ी भारतीय टीम को मजबूत बनाते हैं। अभी तक कबड्डी मैदान में मिट्टी पर खेली जाती थी अब यह खेल इंडोर स्टेडियम के मेट पर खेली जा रही है। इसी कारण से 2036 के ओलंपिक में कबड्डी को प्रवेश के लिए भारत उत्सुक है। क्योंकि यह ओलंपिक खेलों का आयोजन भारत में होने की संभावना है। इससे कबड्डी का भविष्य अवश्य विश्व स्तर पर अग्रसर होता रह सकता है।

   

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