परिवार और राष्ट्रहित में अपना सर्वस्व लुटाती है
झंझावातों को सहकर भी वह सदा मुस्कराती है
अमन संवाद/मंडला
विगत दिनों मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति एवं अखिल भारतीय हिंदी सेवा समिति के संयुक्त तत्वाधान में नारीगत रचनाओं पर आधारित मासिक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार राम वल्लभ आचार्य पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, मध्य प्रदेश लेखक संघ भोपाल के मुख्य अतिथ्य, डॉक्टर शरद नारायण खरे प्राचार्य शासकीय महिला महाविद्यालय मंडला एवं सरिता अग्निहोत्री सदस्य किशोर न्याय बोर्ड मंडला के विशिष्ट आतिथ्य तथा डॉक्टर संध्या शुक्ल 'मृदुल' प्रदेशाध्यक्ष अखिल भारतीय हिंदी सेवा समिति मध्य प्रदेश सह जिला संयोजक मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति जिला मंडला की अध्यक्षता में किया गया। सरस्वती वंदना के पश्चात कार्यक्रम का आगाज करते हुए मुख्य अतिथि रामवल्लभ आचार्य ने कहा भाग्यवान होते हैं वे प्राणी जो नारी सुख को पाते हैं। विशिष्ट अतिथि डॉक्टर शरद नारायण खरे ने कहा नारी को हर क्षेत्र में समान अधिकार मिलना चाहिए। वे कहते हैं नारियों ने जगत को संवारा सदा नारियां मांगलिक शुभ का प्रतिमान हैं। विशिष्ट अतिथि सरिता अग्निहोत्री कहती हैं हो रहे हर पल यहां निर्भया और आरुषि कांड, सुर्खियां बन ओझल हो रहीं रोज होनहार बेटियां। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं डॉक्टर संध्या शुक्ल 'मृदुल' ने कहा मां बहन औ बेटी बन अपना कर्तव्य निभाती है, झंझावातों को सहकर भी वह सदैव मुस्कराती है। नारी है सृष्टि की जननी तुम उसका सम्मान करो। भोपाल से ऊषा सक्सेना अपनी कविता बेटी के माध्यम से कहती हैं मैं तेरा प्रण पूर्ण करती बस तेरी ही साधना हूं। भोपाल से राजकुमारी चौकसे लिखती हैं नारी तू अबला नहीं सबला है, प्रेम के सागर में बहती अभिनव सरिता है। मंडला से नवनीता दुबे कहती हैं जगदंबा सी सूरत चंडी का अवतार है, नारी तू नारायणी तेरी महिमा अपरंपार है। प्रीति दुबे अपने विचारों को प्रकट करते हुए कहती हैं आज हम अपने अधिकारों के लिए जागरूक हुए पर अपने कर्तव्यों की चिंता कम करते हैं। हमें देश की महान नारियों से प्रेरणा लेना चाहिए। अनीता दुबे कहती हैं नारी से सुख पाता मानव नारी बिन दुख पाता है। सिवनी से रेखा नेमा कहती हैं सुनो देश की सारी नारी क्यों अपमान छुपाती हो, तुम कहलाती दुर्गा काली वह रूप न क्यों दिखलाती हो। अन्नपूर्णा पांडे 'अनुकेश' कहती हैं घर की है वह केंद्र बिंदु, धैर्यता गंभीरता की वो सिंधु। प्रोफेसर इंदु मिश्र कहती हैं शक्ति पुंज बन हमको रहना, नहीं किसी से है डरना। धार से संजय वर्मा 'दृष्टि' कहते हैं स्त्री का अधिकार न छीनो बिन स्त्री के संसार है सूना। डॉ स्वल्पा बड़गैया कहती हैं यदि हमें समाज को सशक्त बनाना है तो महिलाओं को उनके अधिकार, शिक्षा, रोजगार एवं स्वतंत्रता देना आवश्यक है। अन्नपूर्णा तिवारी कहती हैं इस धरा पर वो ईश्वर का अंश है मिले सदा उसको सम्मान। मंडला से दिनेश दुबे कहते हैं उसके लिए दुनिया का नहीं कठिन है कोई काम, दिन भर उसको लगे रहना जीवन में आराम हराम। जबलपुर से ज्योति प्यासी कहती हैं नारी सम परिस्थितियों में देवी है, तो विषम परिस्थितियों में दुर्गा भवानी है। मंडला से अनीता गोयल कहती हैं नारी हूं मुझे नारी ही रहने दो, मुझसे मेरी पहचान न छीनो मुझे नारी ही रहने दो। कार्यक्रम का सफल संयोजन डॉ संध्या शुक्ल 'मृदुल' द्वारा किया गया।
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