अमन संवाद/भोपाल
सर्वोच्च मां वह परमात्मा है: बी.के. साक्षी
कार्यक्रम की शुरुआत में ब्रह्माकुमारी पूनम बहन द्वारा एक्टिविटी कराई गई जिसमें उन्होंने जन्म देने वाली मां, धरती मां, प्रकृति मां तथा परम आत्मा मां परमात्मा के प्रति सभी से अपना धन्यवाद एवं कृतज्ञता दिलवाई
बी.के. नम्रता द्वारा ओ मेरी मां "गीत पर एक सुंदर नृत्य की प्रस्तुति की गई।
तत्पश्चात् ब्रह्माकुमारी हेमा बहन ने विषय "सुखी एवं स्वस्थ परिवार के लिए माताओं की भूमिका" को स्पष्ट करते हुए सभी अतिथियों का शब्दों से स्वागत किया।
कार्यक्रम में मौजूद बी.के. दुर्गा सेवानिवृत्त मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेस ऑफिसर ने कहा मातृ दिवस एक ऐसा दिन है जो माँ के नि:स्वार्थ प्रेम, त्याग, सेवा और अटूट ममता को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि वे एक मां होने के साथ-साथ एक आर्मी आर्किटेक्ट भी थी तथा दोनों ही तरफ अपनी जिम्मेदारियां निभाने के लिए उन्हीं राजयोग ध्यान से बहुत मदद मिली। तथा बताया कि कोई भी व्यक्ति एक महीने तक होटल का खाना नहीं खा सकता चाहे वह कितना भी स्वादिष्ट हो परंतु अपनी मां के हाथ का खाना वह जीवन पर्यंत खुशी से खा सकता है।
वहीं शिक्षाविद् एवं समाज सेवी डॉ श्रेष्ठा धीमान ने कहा कि हर दिन मां का दिन है, मां के बिना कोई दिन नहीं, यह जीवन नहीं, यह विश्व नहीं। मां की भूमिका एक बच्चे के जीवन में सबसे अहम है।
इसके पश्चात बिजनेस वूमेन प्रोफेसर अमिता श्रीवास्तव ने मातृत्व दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा की माँ किसी भी बच्चे की प्रथम शिक्षक है। मां के बिना जीवन अधूरा है । साथियों उन्होंने संस्थान की महिमा करते हुए कहा कि ब्रह्माकुमारी एक संजीवनी बूटी की तरह काम कर रही है एवं संस्थान से जोड़कर उन्हें आंतरिक शांति एवं खुशी की अनुभूति हो रही है जो उनके द्वारा उनके संपूर्ण परिवार को भी प्राप्त हो रही है।
अपने हृदय के उद्गार व्यक्त करते हुए श्रीमती राधिका नायर ने कहा कि माँ केवल जन्म देने वाली नहीं, बल्कि संस्कार, धैर्य और शक्ति की मूर्त रूप होती है। जिस प्रकार दुर्गा मां को अष्टभुजा धारी दिखाया गया है ठीक इसी प्रकार आज एक कार्यरत महिला वैसी ही भूमिका अदा करती है, एवं ऑफिस दोनों को संभालते हुए इस प्रकार के जिम्मेदारियां को निभाती है जिसमें उसे अष्टभुजा धारी बना होता है ।
तत्पश्चात मैटरनल एंड चाइल्ड हेल्थ बी.के. डॉक्टर प्रियंका ने माताओं के स्वास्थ्य को लेकर चर्चा करते हुए कहा कि त्याग एवं तपस्या की मूरत माताएं स्वयं का ख्याल नहीं रख पाती इसलिए तीन बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है , "नींद, भोजन एवं व्यायाम" तब ही शरीर स्वस्थ होगा जिसके बाद ही वह अपने परिवार को सुचारू रूप से चला सकते हैं, संभाल सकते हैं ।साथ ही उन्होंने मां को खुश रखने पर भी अत्यधिक जोर देते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सभी स्वास्थ्य में सर्वोपरि है और इसके लिए समय निकालना अति आवश्यक है ।
सुख शांति भवन मेडिटेशन रिट्रीट सेंटर नीलबड़ की निदेशिका नीता दीदी ने सभी को मातृ दिवस की शुभकामनाएं देते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि सभी मातृ शक्तियों की पहली जिम्मेदारी स्वयं के प्रति है। परिवार की संभाल भी संपूर्ण तरह हम तब ही कर पाएंगे जब स्वयं मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक रूप से सशक्त है ।साथ ही उन्होंने विशेष अन्न के ऊपर ध्यान खिंचवाते हुए कहा कि " ' जैसा अन्न, वैसा मन"। किचन में जो माताएं भोजन बनाती हैं, उनके मानसिक स्थिति का प्रभाव उस भोजन पर अवश्य ही पड़ता है तथा भोजन करने वाले की मनोस्थिति भी उसी अनुरूप बनती चली जाती है।आज की इस दौड़ती भागती जिंदगी में एवं पाश्चात्य संस्कृति तथा सभ्यता के प्रभाव से घरों में भोजन बनाने के लिए भी किसी न किसी को नियुक्त कर दिया जाता है, जिससे वह आंतरिक स्नेह तथा सकारात्मक ऊर्जा बच्चों तथा परिवार तक नहीं पहुंच पाती। एवं उनकी मनः स्थिति पर भी उसी प्रकार का बुरा असर पड़ता है इसीलिए हमें यह बहुत ध्यान रखना चाहिए कि भोजन सदैव परमात्मा की याद में एवं स्वस्थ खुशहाल मन के साथ बनाया जाए जिससे उस अन्न का सकारात्मक प्रभाव खाने वाले सभी लोगों के मन पर पड़े ।
कार्यक्रम के अंत में ब्रह्माकुमारी साक्षी बहन द्वारा मातृत्व दिवस के आध्यात्मिक पहलू पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि हम सब की *सर्वोच्च माँ वह परमात्मा माँ* है जो कि इस संपूर्ण जगत के नियंता रक्षक एवं दुखहर्ता सुख करता है। साथ ही उन्होंने सभी को गहन *राजयोग ध्यान अनुभूति* कराई जिससे सभी माताओं के अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ एवं सभी अपने शिव शक्ति के स्वमान में स्थित हुए। साथ ही उन्होंने कहा माँ वो दीपक है जो खुद जलती है लेकिन पूरे परिवार को रोशन रखती है।माँ बिना कहे सब समझती है और बिना थके सबके लिए समर्पित रहती है।आज के दिन हम सबको माँ के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए,उनका सम्मान करना चाहिए,और सबसे जरूरी, उनके स्वास्थ्य व भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए।
साथ ही साथ ब्रह्माकुमारी आराधना बहन ने सभी को एक सुंदर संदेश देते हुए कहा कि "जब भगवान हर जगह नहीं पहुँच सकते थे, तब उन्होंने माँ को बना दिया।उन्होंने पधारे हुए सभी अतिथियों एवं माताओं का आभार व्यक्त किया मां की तरह ही ब्रह्माकुमारी संजीवनी बूटी का काम कर रही हैं।
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