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उद्यानिकी से आत्मनिर्भरता तक : मध्य प्रदेश की कृषि क्रांति का नया अध्याय

मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा के नेतृत्व में राज्य का उद्यानिकी विभाग किसानों को बना रहा है आत्मनिर्भर और सशक्त* 

*लेखक: सन्तोष कुमार* 

भारत का हृदय प्रदेश कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में कृषि केवल जीविका का साधन नहीं बल्कि विकास का आधार है। यही कारण है कि राज्य सरकार ने खेती को आधुनिकता और आत्मनिर्भरता से जोड़ने की दिशा में निर्णायक कदम उठाए हैं। इस परिवर्तन की धुरी बना है मध्य प्रदेश उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग जो राज्य के किसानों के जीवन में एक नई क्रांति ला रहा है।


विभाग के मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा के नेतृत्व में उद्यानिकी क्षेत्र ने नई ऊर्जा प्राप्त की है। कुशवाहा जी अपने ज़मीनी अनुभव और व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। उनका मानना है कि “किसानों को केवल उत्पादक नहीं, बल्कि उद्यमी बनना होगा।” इसी सोच के साथ वे राज्य में उद्यानिकी को एक आर्थिक आंदोलन में बदलने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं।

उनके मार्गदर्शन में विभाग ने कई अभिनव पहलें शुरू की हैं जैसे ई-नर्सरी पोर्टल की शुरुआत, जिससे किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौधे ऑनलाइन मिल सकें; हाई-टेक नर्सरियों का विकास, जो उन्नत पौध सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करें; और फूलों की खेती को प्रोत्साहन, जिससे छोटे किसानों को भी अच्छी आमदनी का अवसर मिल सके। मंत्री कुशवाहा की पहल से पिछले वर्षों में राज्य में फूलों की खेती का क्षेत्र लगभग पाँच हजार हेक्टेयर बढ़ा है जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया सहारा मिला है।

मध्य प्रदेश का उद्यानिकी विभाग अब फसलों के साथ-साथ प्रसंस्करण, भंडारण और विपणन पर भी बराबर ध्यान दे रहा है। 

कुशवाहा जी का यह दृढ़ विश्वास है कि “खेती तभी लाभकारी हो सकती है जब किसान का उत्पाद बाजार तक सुरक्षित और मूल्यवान रूप में पहुँचे।” इसी सोच के चलते विभाग ने फूड प्रोसेसिंग और मूल्य संवर्धन योजनाओं पर बल दिया है, जिनके तहत कोल्ड स्टोरेज, पैकेजिंग यूनिट और एग्री-बिजनेस सेंटर्स की स्थापना की जा रही है।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन ने राज्य को उद्यानिकी के क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है। “हर बूंद से अधिक फसल” के नारे को साकार करने के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली को बड़े पैमाने पर अपनाया गया है। पॉलीहाउस और शेड नेट हाउस जैसी आधुनिक तकनीकों को भी मंत्री कुशवाहा ने व्यापक स्तर पर लागू कराया है।

राज्य की विविध जलवायु और उपजाऊ मिट्टी इसे उद्यानिकी के लिए विशेष बनाती है। यहाँ संतरा, आम, अमरूद, पपीता, नींबू, केला, टमाटर, प्याज, आलू, मिर्च, लहसुन और धनिया जैसी फसलें व्यापक रूप से उगाई जाती हैं। मंदसौर का लहसुन, होशंगाबाद का संतरा और छिंदवाड़ा का आम राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं। 


मंत्री कुशवाहा का विशेष ध्यान “क्षेत्र-विशिष्ट फसलों” पर है, जिससे हर जिले की कृषि अपनी भौगोलिक विशेषता के अनुसार विकसित हो सके।

उनके नेतृत्व में विभाग ने किसानों को प्रशिक्षण देने, नई तकनीकें सिखाने और योजनाओं के लाभ तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए राज्यभर में कार्यशालाएँ आयोजित की हैं। कुशवाहा जी की शैली की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वे केवल मंत्रालय तक सीमित नहीं रहते वे खेतों में जाकर किसानों से संवाद करते हैं उनकी समस्याएँ सुनते हैं और योजनाओं के क्रियान्वयन की वास्तविक स्थिति का आकलन स्वयं करते हैं।

आज मध्य प्रदेश देश के शीर्ष पाँच उद्यानिकी राज्यों में शामिल है। राज्य में उद्यानिकी फसलों का क्षेत्रफल 25 लाख हेक्टेयर से अधिक हो चुका है और उत्पादन में पिछले एक दशक में 200 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। कई जिलों में किसानों ने एकल फसल से बहु-फसल प्रणाली अपनाकर अपनी आय तीन गुना तक बढ़ाई है।

हालाँकि चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं जलवायु परिवर्तन, अनियमित वर्षा, कोल्ड-चेन और प्रसंस्करण इकाइयों की कमी, तथा छोटे किसानों तक तकनीक की सीमित पहुँच जैसी समस्याएँ अब भी हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए मंत्री कुशवाहा ने सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP Model), डिजिटल कृषि प्रबंधन, और औद्योगिक प्रसंस्करण को बढ़ावा देने का स्पष्ट रोडमैप तैयार किया है।

भविष्य की दृष्टि से देखा जाए तो उद्यानिकी क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं। जैविक खेती, निर्यात-उन्मुख उत्पादन, ड्रोन तकनीक, स्मार्ट सिंचाई प्रणाली और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित निगरानी जैसी आधुनिक पहलें आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र को और सशक्त बनाएँगी।

*मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा के दूरदर्शी नेतृत्व और कर्मठ कार्यशैली ने मध्य प्रदेश की कृषि को एक नई दिशा दी है। उनके नेतृत्व में उद्यानिकी विभाग ने किसानों को न केवल आधुनिक बनाया है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और उद्यमशील भी बनाया है। यह कहना उचित होगा कि मध्य प्रदेश में खेती अब केवल पेशा नहीं, बल्कि “आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम” बन चुकी है और इस परिवर्तन के केंद्र में हैं नारायण सिंह कुशवाहा, जिनकी सोच और संकल्प ने “आत्मनिर्भर भारत” के विज़न को “आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश” के रूप में साकार कर दिखाया है।* 

*लेखक* 


सन्तोष कुमार 

संपादक दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र भोपाल 

मो. न. 9755618891

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