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जब शब्द आराधना बन गए : शायर महावीर सिंह नारायण की भाव यात्रा

*लेखक : सन्तोष कुमार* 

जब कोई कवि अपने शब्दों को माँ के चरणों में समर्पित कर देता है, तब उसकी रचनाएँ केवल कविता नहीं रहतीं वे आराधना बन जाती हैं। ऐसे ही एक साधक कवि हैं महावीर सिंह नारायण, जिनकी लेखनी में श्रद्धा, संगीत और संवेदना का ऐसा संगम है जो सीधे हृदय को स्पर्श करता है।

मध्य प्रदेश की पावन भूमि पर पले-बढ़े महावीर सिंह नारायण ने शिक्षा के क्षेत्र में बी.ए., एल.एल.बी. और पत्रकारिता में पत्रोपाधि प्राप्त की। लेकिन उनका असली परिचय उनके शब्दों से मिला वे शब्द जो भक्ति के रस में भीगे हैं और जिनमें माँ के प्रति समर्पण की गूंज सुनाई देती है।


वर्ष 2005 उनके जीवन का वह सृजनशील क्षण लेकर आया जब टी-सीरीज मुंबई ने असम की श्रद्धा स्थली माँ कामाख्या देवी पर आधारित हिंदी भजन कैसेट जारी किया। इस कैसेट में सम्मिलित “माँ कामाख्या की आरती” का लेखन महावीर सिंह नारायण ने किया था। यह आरती आज भी यूट्यूब पर लाखों श्रद्धालुओं की भक्ति का माध्यम बनी हुई है। इसे सुनते समय ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई भक्त अपनी आत्मा को शब्दों के रूप में माँ के चरणों में अर्पित कर रहा हो।

समय के साथ उनकी लेखनी और प्रखर हुई। वर्ष 2021 में उन्होंने विश्व प्रसिद्ध श्री पीतांबरा पीठ, दतिया की माँ पीतांबरा जी पर भजन लिखा “दतिया में सजा है दरबार माई का”। यह भजन मुंबई के अलका याग्निक स्टूडियो में रिकॉर्ड हुआ, संगीत राज शर्मा ने दिया और मधुर स्वर प्रदान किए सुप्रसिद्ध गायिका रेखा राव ने। नोवा चैनल द्वारा 7 अक्टूबर 2021 को जारी यह भजन शीघ्र ही भक्ति प्रेमियों की जुबान पर छा गया। शब्दों में माँ की कृपा की वह चमक है जो श्रोता के मन को छू जाती है।

महावीर सिंह नारायण के सृजन ने न केवल लोगों के हृदय को छुआ बल्कि साहित्य जगत को भी भावविभोर किया।

20 अगस्त 2023 को मध्य प्रदेश साहित्य साधना मंच सीहोर ने उन्हें “सरस्वती सम्मान” से अलंकृत किया। वहीं 12 अक्टूबर 2025 को साहिर लुधियानवी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक सोसाइटी, भोपाल ने उन्हें “ताज भोपाली सम्मान” प्रदान किया। यह वह क्षण था जब एक रचनाकार की भक्ति और प्रतिभा दोनों को समाज ने प्रणाम किया।

उनकी मौलिकता और सृजनशीलता को देखते हुए IPRS (Indian Performing Right Society, Mumbai) ने उन्हें अपनी सदस्यता से सम्मानित किया। यह संस्था भारत सरकार से मान्यता प्राप्त कॉपीराइट सोसाइटी है जो गीतकारों और संगीतकारों के अधिकारों की रक्षा करती है। उनके दोनों प्रमुख भक्ति प्रोजेक्ट “माँ कामाख्या की आरती” और “दतिया में सजा है दरबार माई का” आज भी यूट्यूब पर लोकप्रिय हैं।

महावीर सिंह नारायण न केवल गीतकार हैं बल्कि एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने अपने शब्दों से भक्ति को जीया है। उन्होंने अनेक कवि सम्मेलनों, मुशायरों, काव्य गोष्ठियों, आकाशवाणी और दूरदर्शन पर अपनी रचनाओं से जन-मन को भाव विभोर किया है।

वर्तमान में वे मध्य प्रदेश विधानसभा सचिवालय, भोपाल में सूचना अधिकारी के पद पर सेवारत हैं। परंतु उनके भीतर का कवि आज भी उतना ही जीवंत है जो माँ के दरबार में बैठकर शब्दों की आरती लिखता है और हर गीत में श्रद्धा का दीप प्रज्वलित करता है।

*इनसेट बॉक्स 1* 

*ग़ज़ल : महावीर सिंह नारायण* 

इस जहांँ  का  हर  मज़ा ‌ही,  बे-मज़ा  हो जाएगा 

जब  तुझे रब की ‌मुहब्बत का ‌नशा  हो जाएगा ।।

छोड़  दे नफ़रत, मुहब्बत का तू कारोबार कर

आदमी तू भी ख़ुदा के काम का हो ‌जाएगा।।

ज़िंदगी इक  जंग  है  तू  जीत  ले  हर  हाल में 

जीत  को  मक़सद  बना, तू  सूरमा हो जाएगा।।

दूसरों  की  भी बहन-बेटी को अपनी  ही समझ

गर किया ऐसा,तो तुझसे ख़ुश ख़ुदा हो जाएगा।।

ज़िंदगी जिसने गुज़ारी आज तक इशरत में ही 

अब इबादत की नहीं तो रब ख़फ़ा हो जाएगा।।

 *इनसेट बॉक्स 2:* 

महावीर सिंह नारायण की लेखनी हमें यह सिखाती है कि सच्चा साहित्य वही है जो हृदय से निकले और भक्ति में विलीन हो जाए। उनके शब्दों में केवल तुक नहीं बल्कि भावना है केवल गीत नहीं, बल्कि आराधना है।

वे वह शायर हैं जिन्होंने शब्दों को भक्ति का रूप दिया और भक्ति को जीवन का स्वर बना दिया। 🌺

लेखक 

सन्तोष कुमार संपादक 

दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र भोपाल 

9755618891


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