Ad Code

Responsive Advertisement

नीली क्रांति के सरोवर में उगता विश्वास : मंत्री नारायण सिंह पवार के नेतृत्व में नया मत्स्य युग

लेखक : सन्तोष कुमार 

मध्य प्रदेश की नदियाँ केवल जल की धाराएँ नहीं हैं वे जीवन की नब्ज़ हैं और उन नदियों के किनारों पर बसे मछुआ परिवार इस धरती की आत्मा का हिस्सा हैं। वर्षों तक उपेक्षित रहे इन मेहनतकश परिवारों के जीवन में जब एक संवेदनशील नेतृत्व ने नई रोशनी भरने की ठानी तब विकास की एक ऐसी लहर उठी जिसने पूरे राज्य के जलाशयों को आत्मनिर्भरता की मिसाल बना दिया। यह परिवर्तन संभव हुआ मध्य प्रदेश शासन के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नारायण सिंह पवार के नेतृत्व में जिनके पास मछुआ कल्याण एवं मत्स्य पालन विभाग का दायित्व है। मंत्री पवार ने इस विभाग को केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं माना बल्कि इसे जनसेवा का माध्यम बनाया। उनकी सोच थी कि जब तक मछुआ समाज को सम्मान और सुरक्षा नहीं मिलेगी तब तक मत्स्य उद्योग में सच्ची समृद्धि नहीं आ सकती। इसी विचार से प्रेरित होकर उन्होंने नीति से लेकर ज़मीन तक बदलाव की एक सशक्त प्रक्रिया शुरू की।


पिछले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश के मत्स्य क्षेत्र ने जो उपलब्धियाँ हासिल की हैं वे इस बात का प्रमाण हैं कि सही दिशा और ईमानदार नीयत के साथ काम करने पर परिवर्तन अवश्य आता है। मंत्री नारायण सिंह पवार के नेतृत्व में विभाग ने पारंपरिक मत्स्य पालन को आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़ा है। राज्य के तालाबों और जलाशयों में अब केवल मछलियाँ ही नहीं पाली जा रहीं बल्कि वहाँ से विकास की कहानियाँ भी जन्म ले रही हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के इस मौन स्तंभ को मजबूत करने के लिए मंत्री पवार ने तालाब विकास योजना,मछुआ आवास योजना और सामुदायिक मत्स्य पालन प्रोत्साहन कार्यक्रम जैसे नवाचारों को ज़मीन पर उतारा। इन योजनाओं के माध्यम से हजारों मछुआ परिवारों को स्थायी आजीविका के अवसर प्राप्त हुए हैं।

मछुआ समाज जो कभी सरकारी योजनाओं के हाशिये पर था अब राज्य की विकास यात्रा का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। विभाग ने सुनिश्चित किया कि हर मछुआ परिवार को बीमा, शिक्षा सहायता और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएँ मिलें। मंत्री पवार की यह मान्यता है कि मछुआ समाज की सुरक्षा ही मत्स्य उद्योग की समृद्धि की नींव है जो कि आज एक नीति में परिवर्तित हो चुकी है। बीमा योजनाओं से लेकर आवास सहायता तक हर स्तर पर पारदर्शिता और सरलता लाने का प्रयास हुआ है। डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग से पंजीकरण और लाभ वितरण की प्रक्रिया को तेज और भ्रष्टाचार-मुक्त बनाया गया है। यही वजह है कि आज विभाग की कार्यशैली आम नागरिकों के बीच भरोसे की प्रतीक बन चुकी है।

राज्य के कई जिलों में मत्स्य उत्पादन ने ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाए हैं। जहाँ पहले केवल परंपरागत तरीके से मछली पालन किया जाता था वहीं अब मत्स्य पालन को उद्यमिता का रूप दिया जा रहा है। युवा मछुआ अब प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से नई तकनीकें सीख रहे हैं जिससे उत्पादन क्षमता में कई गुना वृद्धि हुई है। यह बदलाव केवल आर्थिक नहीं बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पहले जहाँ मछुआ परिवार जीविका के लिए संघर्ष करते थे, वहीं अब वे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि मध्य प्रदेश आज देश के अग्रणी मत्स्य उत्पादन राज्यों में अपनी अलग पहचान बना चुका है।

मंत्री नारायण सिंह पवार का दृष्टिकोण विकास के साथ-साथ संवेदना से भी जुड़ा है। वे केवल कार्यालयों में बैठकर योजनाएँ नहीं बनाते बल्कि स्वयं गाँव-गाँव जाकर मछुआ भाइयों और बहनों से संवाद करते हैं उनकी पीड़ा को सुनते हैं और समाधान के लिए तत्पर रहते हैं। यही जुड़ाव उन्हें जनता के दिलों के करीब लाता है। कई मछुआ परिवारों ने यह स्वीकार किया है कि पहली बार उन्हें लगा कि सरकार केवल कागज़ पर नहीं बल्कि सच में उनके साथ खड़ी है। यही कारण है कि ग्रामीण अंचलों में लोग उन्हें स्नेहपूर्वक “मछुआ मंत्री” कहकर पुकारते हैं।

विभाग की उपलब्धियों में पारदर्शिता, ई-निविदा प्रणाली, प्रशिक्षण कार्यक्रम और नई मत्स्य परियोजनाओं का आरंभ शामिल है। इन पहलों ने सरकारी कार्यशैली की विश्वसनीयता को नया आयाम दिया है। आज मत्स्य पालन केवल एक व्यवसाय नहीं बल्कि प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मज़बूत स्तंभ बन चुका है। राज्य सरकार के इस प्रयास से न केवल मछुआ परिवारों की आय बढ़ी है बल्कि राज्य के जल संसाधनों का भी वैज्ञानिक उपयोग संभव हुआ है।

*इनसेट बॉक्स 1* 

मंत्री नारायण सिंह पवार ने “नीली क्रांति” की जिस अवधारणा को जमीन पर उतारा है वह अब एक सामाजिक क्रांति में बदलती दिख रही है। उनका सपना है कि हर मछुआ परिवार आत्मनिर्भर बने हर तालाब उत्पादन का केंद्र बने और हर गाँव में रोजगार का नया स्रोत विकसित हो। उनके नेतृत्व में विभाग ने जलाशयों के दोहन से अधिक उनके संरक्षण पर जोर दिया है ताकि विकास के साथ प्रकृति का संतुलन भी बना रहे। यही दूरदर्शिता इस विभाग को अलग पहचान दिला रही है।

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मध्य प्रदेश के मत्स्य पालन की सफलता कहानी एक व्यक्ति की सोच और संवेदना से प्रेरित है। मंत्री पवार का नेतृत्व केवल योजनाओं तक सीमित नहीं है बल्कि यह उस सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है जहाँ शासन जनता के साथ मिलकर चलता है न कि ऊपर से हुक्म देता है। उनके नेतृत्व में मछुआ समाज ने यह अनुभव किया है कि जब नीतियों में मानवीयता होती है तो परिणाम केवल आँकड़े नहीं बल्कि चेहरे पर मुस्कान बनकर उभरते हैं। 

आज जब मध्य प्रदेश आत्मनिर्भरता की दिशा में लगातार कदम बढ़ा रहा है तब मछुआ कल्याण एवं मत्स्य पालन विभाग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। यह विभाग न केवल जल आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और सम्मान की नई धारा प्रवाहित कर रहा है।

 *इनसेट बॉक्स 2* 

मंत्री नारायण सिंह पवार के नेतृत्व में यह विभाग केवल सरकारी दायित्व नहीं निभा रहा बल्कि समाज के उन वर्गों तक विकास की रोशनी पहुँचा रहा है जिन्हें लंबे समय से उसकी प्रतीक्षा थी।

मछुआ परिवारों की आँखों में अब विश्वास की चमक है क्योंकि उन्हें भरोसा है कि यह सरकार केवल वादे नहीं करती बल्कि उन्हें पूरा करती है। यह परिवर्तन केवल विभागीय सफलता नहीं बल्कि मध्य प्रदेश की संवेदनशील शासन शैली का प्रतीक है। आने वाले समय में जब मत्स्य पालन और ग्रामीण रोजगार की बात होगी तो निस्संदेह मंत्री नारायण सिंह पवार का नाम उस अग्रिम पंक्ति में होगा जहाँ नदियों की धाराओं में केवल मछलियाँ नहीं बल्कि उम्मीदें भी तैरती हैं उम्मीदें आत्मनिर्भर भारत की, आत्मविश्वासी मध्य प्रदेश की, और उस मछुआ समाज की, जिसने पहली बार खुद को विकास की धारा में सहभागी महसूस किया है।

*लेखक* 

सन्तोष कुमार 


संपादक दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र भोपाल 

मो. न. 9755618891

Post a Comment

0 Comments

Ad Code

Responsive Advertisement