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पं.मनावत बोले- महिला-पुरुष प्रतिद्वंद्वी नहीं, एक-दूसरे के पूरक हैं



हिंदी जागृति मंच की काव्य गोष्ठी में होली और नारी शक्ति पर रचनाएं प्रस्तुत

अमन संवाद/कालापीपल

भगवान नारायण ने बृह्मा को चार श्लोकों की कविता सुनाई और जो चार श्लोक कहे गए वही भागवत बनी उसके बाद कहा गया कि अब आप सृष्टि का निर्माण करिए। भारत वर्ष सृष्टि का एकमात्र वह देश है जिसमें साहित्य का जन्म पहले हुआ और मनुष्य का बाद में। मनुष्य ने साहित्य को जन्म नहीं दिया, साहित्य ने मनुष्य को जन्म दिया है। जिस देश में दो प्रकट नवरात्रि होती है, 36 दिन महिलाओं को दिए गए, उस देश में एक वुमन डे मनाना कहां तक उचित है? तम को मिटाने का साहस केवल स्त्री में है, इसलिए उसी के साथ नवरात्रि जोड़ा गया। 

यह विचार मानस मर्मज्ञ पं. श्यामस्वरूप मानवत ने हिंदी जागृति मंच की काव्य गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। महिला दिवस और होली त्योहर को लेकर हुए आयोजन में उन्होंने कहा कि महिला और पुरुष एक दूसरे के प्रतिष्पर्धी नहीं हो सकते। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। पं. मनावत ने इस अवसर पर स्वरचित कवतिओं का पाठ भी किया। समारोह की अध्यक्षता मंच की वरिष्ठ सदस्य सीमा शर्मा ने की। 

नवोदित और वरिष्ठ रचनाकारों ने प्रस्तुत कीं रचनाएं

गोष्ठी के दौरान नवोदित रचनाकार राजेश मालवीय ने "नारी है अर्धांगिनी नर की, या नर है अर्धांग नारी का" का काव्य पाठ किया। वहीं बाबूलाल परमार ने अतीत की मधुर स्मृतियां से संबंधित जब हम गांव में रहते थे का काव्य पाठ किया। विनोद परमार ने आई होली सब मिल मना लीजिए। धर्मेंद्र नायक ने जो गिर गया इस जहां की नजर में देखा उसे एक मां की नजर से, कुंवर संजय मेवाड़ा ने हर रोज झूठा किस्सा बताने लगते हो, कवि भास्कर भावुक ने जला दो नफरतों का आज सब सामान होली में का शानदार काव्य पाठ किया। मंच के सचिव अनिल शर्मा ने "जब कल था अपना, सोए रहे, सपनों के पीछे खोए रहे।"  वहीं मंच के अध्यक्ष कैलाश नारायण परमार ने जापानी हाईकू विधा व दोहों के माध्यम से कम शब्दों में गहरी बात कही। 

श्रृंगार रस के कवि हरीश पाटीदार ने "लड़ाओ जगनुओं को सूर्य से और सूर्य को गैलेक्सी से" मेरी बातों में न आना ,होली पर ऐसी ही बातें करता हूं। का सुमधुर काव्य पाठ किया। मंच के संस्थापक अध्यक्ष महेंद्र सिंह तोमर ने 'कोई पंक्तियां कैसे रच दूं तुम पर कैसे एक दिन... आज भर शुभकामनाएं दे दूं... तुम्हें... सुमधुर काव्य पाठ किया। 

स्मारिका निकालने पर विचार विमर्श

समारोह में हिंदी जागृति मंच की शुरुआत से लेकर अब तक के आयोजनों को लेकर स्मारिका निकालने पर विचार विमर्श किया। मंच के मीडिया प्रभारी संदीप गेहलोत ने हिंदी जागृति मंच के आगामी कार्यक्रमों को लेकर अपने विचार साझा किए। इस दौरान अरुण कुमार शर्मा, चंदर सिंह परमार सहित काव्य प्रेमी मौजूद रहे। संचालन कवि भास्कर भावुक ने किया और आभार मंच के सक्रिय सदस्य सोहन दीक्षित ने व्यक्त किया। इस मौके पर अरुण कुमार शर्मा, चंदर सिंह परमार सहित कई काव्य प्रेमी मौजूद रहे।

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