अमन संवाद/भोपाल
जो व्यक्ति विषम परिस्थितियों में स्वयं को संयमित रहने की कला जानता है वहीं परमात्मा के प्रिय हैं। ये कहना था चित्रकूट के आचार्य परमानंद महाराज का वे भोपाल के चूनाभट्टी स्थित परस्पर कॉलोनी एवं क्षेत्रीय मुख्यालय राजयोग भवन में "सभी समस्याओं का समाधान आध्यात्मिकता से" विषय में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भगवान को पाने के लिए जो कीमत नहीं चुकाता उसे भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि अगर जीवन में दुख नहीं होता तो हमें भगवान नहीं मिलते। भगवान का सपूत बच्चा वही है जो सभी को बिना किसी पद और पोजिशन के एक जैसा सम्मान प्रदान करे। उन्होंने कहा कि परमात्मा सबसे ऊंची सत्ता है जिसकी महिमा कोई कर नहीं सकता। उन्होंने कहा कि अगर दुख हमारे जीवन में नहीं आता तो हमें भगवान की प्राप्ति भी नहीं होती।
उन्होंने कहा कि सच्चाई से जीवन जीना ही जीवन जीने की वास्तविक कला है जो भगवान से सच में प्यार करते हैं वो भगवान की मत पर चलते हैं। तुम अपने को जान जाओ तो मैं तुम्हें याद करूंगा। उन्होंने कहा कि परमात्मा के अंदर जो गुण है वही मां के अंदर भी है। मां का दर्जा इस संसार में बहुत ही ऊंचा है इसलिए भगवान ने माताओं के सर पर ज्ञान का कलश रखा है। इस मौके पर भोपाल जोन की क्षेत्रीय निर्देशिका राजयोगिनी अवधेश दीदी ने आचार्य जी का स्वागत किया और आचार्य जी के ज्ञान की गहराई की तारीफ की। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म का सच्चा प्रचार प्रसार कर रही हैं। कार्यक्रम में सुख शांति भवन की निर्देशिका राजयोगिनी बी.के. नीता दीदी और बी.के. ज्योति दीदी उपस्थित रहे। मौके पर ब्रह्माकुमारी बहनों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का सफल आयोजन बी.के. कैलाश बहन द्वारा किया गया।
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