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मध्य प्रदेश में बिजली बिल का बढ़ता बोझ: एलईडी युग में भी क्यों नहीं घट रहे बिल?

अमन संवाद/भोपाल


मध्य प्रदेश में घरेलू बिजली उपभोक्ता हैरान हैं क्योंकि तकनीक के इस आधुनिक युग में जब हर घर में ऊर्जा-बचत करने वाले एलईडी बल्ब,पंखे और उपकरण लग चुके हैं,तब भी बिजली बिलों में राहत नहीं मिल रही। पहले जहां घरों में अधिक वॉट वाले बल्ब,ट्यूबलाइट और मोटर चलते थे,अब ऊर्जा दक्ष उपकरणों के उपयोग से बिजली खपत में स्वाभाविक रूप से कमी आई है। फिर भी बिलों में कमी आने के बजाय बढ़ोत्तरी ने उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ा दी है।

राज्य के अनेक जिलों से यह शिकायत आम हो चुकी है कि भले ही मीटर पर यूनिट कम दिख रहे हों,पर कुल बिल राशि बढ़ रही है। पूर्व में जहां साधारण बल्ब और इनवर्टर पंखे बिजली खपत का बड़ा हिस्सा लेते थे, अब उनकी जगह एलईडी बल्ब, स्टार-रेटेड पंखे और इनवर्टर तकनीक वाले उपकरणों ने ले ली है जो पारंपरिक साधनों से 50 से 70 प्रतिशत तक बिजली बचाते हैं फिर भी बिलों का आंकड़ा नीचे नहीं आ रहा।

छिंदवाड़ा, ग्वालियर, सागर और रीवा जैसे शहरों में उपभोक्ताओं ने बिजली कंपनियों से पारदर्शिता की मांग की है।

लोगों का कहना है कि जब सरकार “ऊर्जा बचाओ” अभियान चला रही है और जनता को एलईडी बल्ब लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, तो उस बचत का सीधा लाभ बिजली बिलों में क्यों नहीं दिख रहा?

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल के अधिकारियों का कहना है कि उत्पादन लागत,ट्रांसमिशन लॉस और सब्सिडी भार के कारण उपभोक्ता दरों को घटाना संभव नहीं है।

हालांकि सरकार का दावा है कि “स्मार्ट मीटर और डिजिटल बिलिंग” से आने वाले समय में सटीक आंकड़े मिलेंगे और उपभोक्ताओं को सही बिल प्राप्त होंगे। यदि उपभोक्ताओं को बिजली बचत का लाभ उन्हें देना है तो स्लैब प्रणाली की समीक्षा,बिलिंग सिस्टम की पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने ट्रांसफॉर्मरों और वितरण लाइनों को बदलना भी जरूरी है, ताकि तकनीकी हानि कम हो और उपभोक्ता का बिल वास्तविक खपत के अनुरूप बने।

एलईडी युग में जब तकनीक ने बिजली की खपत आधी कर दी है,तब उपभोक्ता उम्मीद करते हैं कि उनका बिल भी आधा हो।

सरकार और बिजली कंपनियों के लिए अब वक्त है कि वे ऊर्जा बचाने वालों को आर्थिक राहत देने की नीति बनाएं क्योंकि जनता अब समझ चुकी है कि “कम खपत, ज्यादा बिल” का यह समीकरण कहीं न कहीं गड़बड़ जरूर है।

*लेखक* 


सन्तोष कुमार 

संपादक दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र भोपाल

9755618891

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