Ad Code

Responsive Advertisement

जब सत्ता ने ममता का रूप लिया — मंत्री निर्मला भूरिया बनीं बच्चों की अभिभावक

जहाँ सत्ता झुकती है,वहाँ संवेदना मुस्कुराती है

*लेखक : सन्तोष कुमार* 



भोपाल में बुधवार की सुबह कुछ अलग थी। हवा में सर्दी की हल्की ठंडक थी, लेकिन उस सुबह मंत्री निवास के आँगन में एक गर्माहट थी स्नेह की, अपनत्व की, और ममता की। महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया अपने सरकारी कर्तव्यों से नहीं बल्कि एक माँ के रूप में बच्चों के बीच थीं। वे बच्चे जिन्होंने कोविड की त्रासदी में अपने माता-पिता को खो दिया था आज उनके घर में मेहमान नहीं परिवार के सदस्य बनकर आए थे। सामान्य सरकारी कार्यक्रमों से अलग यह दिन “प्रेरणा एवं संवाद” का था। मंत्री भूरिया ने बच्चों से हँसते हुए बातें कीं उनके सपनों को सुना और फिर अपने हाथों से उन्हें भोजन परोसा। जब वे उन नन्हे हाथों के साथ बैठीं तो दृश्य कुछ ऐसा था जैसे कोई माँ अपने परिवार के साथ बैठी हो। उस क्षण में न सत्ता का औपचारिक भार था न पद का अंतर सिर्फ स्नेह, मुस्कान और मानवीय जुड़ाव था। वह पल जब मंत्री निर्मला भूरिया ने बच्चों के सिर पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए कहा “अब तुम सब मेरे परिवार का हिस्सा हो” उस क्षण सत्ता और संवेदना एकाकार हो गईं। बच्चों की आँखों में जो चमक थी वह किसी योजना की उपलब्धि नहीं थी वह एक माँ के दिल से निकले स्नेह का उजाला था। उस दिन यह स्पष्ट हो गया कि असली नेतृत्व आदेशों या पद से नहीं बल्कि अपनत्व और करुणा से जन्म लेता है। मंत्री भूरिया ने सिर्फ संवेदना व्यक्त नहीं की बल्कि उसे कर्म में बदला। उन्होंने उन बच्चों के लिए जिन्हें अभी तक योजना का लाभ नहीं मिल सका था 5 लाख रुपये की सहायता राशि अपने स्वेच्छानुदान से दी। यह कोई औपचारिक दान नहीं था बल्कि एक सच्ची करुणा की पहल थी। पिछले वर्ष भी उन्होंने 13 लाख रुपये की व्यक्तिगत सहायता राशि ऐसे ही बच्चों के लिए दी थी। शायद यही वजह है कि लोग उन्हें मंत्री से अधिक एक स्नेहमयी अभिभावक के रूप में देखते हैं बुधवार के दिन की दोपहर यादगार रही। बच्चों की खिलखिलाहट मंत्री निवास की दीवारों से टकरा रही थी। एक बालिका आरती जिसका उस दिन जन्मदिन था केक काटते हुए मुस्कुराई और मंत्री भूरिया ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा, “हर मुस्कान किसी नए सपने की शुरुआत होती है।” वहाँ मौजूद हर अधिकारी हर अतिथि ने महसूस किया कि यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं बल्कि आत्मा को छू जाने वाला अनुभव था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई पी.एम. केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना और मुख्यमंत्री की कोविड-19 बाल सेवा योजना उन बच्चों के लिए संजीवनी बनी हैं जिन्होंने जीवन की सबसे बड़ी क्षति झेली है। भोपाल जिले में 22 बच्चे इन योजनाओं से लाभान्वित हैं जिन्हें 18 वर्ष की आयु तक मासिक सहायता, ₹10 लाख का कोष निःशुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएँ मिल रही हैं। निर्मला भूरिया का प्रयास इन योजनाओं को कागज़ से उठाकर दिलों तक पहुँचाने का है ताकि हर बच्चा महसूस कर सके कि वह अकेला नहीं है। मंत्री भूरिया कहती हैं “बच्चे हमारे अपने परिवार का हिस्सा हैं। उनकी मुस्कान ही मेरी असली पूँजी है।” उनके लिए मंत्रालय एक दायित्व नहीं बल्कि मातृत्व का विस्तार है। यही संवेदना प्रशासन को मानवीय बनाती है। इस दिन ने यह साबित कर दिया कि जब नीतियों में स्नेह जुड़ता है तो योजनाएँ सिर्फ लाभ नहीं जीवन बदल देती हैं। 

*इनसेट बॉक्स* 

मंत्री निर्मला भूरिया ने यह दिखाया कि एक सच्ची जनसेविका वह नहीं होती जो मंच से भाषण दे बल्कि वह होती है जो बच्चों के आँसू पोंछकर उनके भविष्य में रोशनी भर दे। यह कहानी सिर्फ एक मंत्री की नहीं बल्कि उस माँ की है जिसने शासन को ममता का चेहरा दिया। जहाँ संवेदना शासन का हिस्सा बन जाती है वहीं से सच्चा विकास शुरू होता है।


लेखक सन्तोष कुमार 

संपादक 

दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र भोपाल 

9755618891


Post a Comment

0 Comments

Ad Code

Responsive Advertisement