लेखक : सन्तोष कुमार
पुलिस की वर्दी केवल एक परिधान नहीं होती यह कर्तव्य, अनुशासन, त्याग और हर पल तत्पर रहने की मानसिक शक्ति का प्रतीक है। इस वर्दी के साथ ढेरों जिम्मेदारियाँ आती हैं और उन्हीं जिम्मेदारियों को सर्वोच्च दक्षता से निभाने का संकल्प जब किसी अधिकारी के जीवन जीने के तरीके में उतर जाए तो वह केवल एक अधिकारी नहीं बल्कि प्रेरणा का प्रतीक बन जाता है।
मध्य प्रदेश पुलिस के विशेष शाखा के पुलिस अधीक्षक दिनेश कौशल इसी प्रेरणा के जीवंत उदाहरण हैं। उनका दिन किसी आम नौकरीपेशा व्यक्ति की तरह नहीं होता। सूरज निकलने से पहले उनकी तैयारी शुरू हो जाती है और यह तैयारी ड्यूटी की नहीं खुद को कर्तव्य के लिए तैयार करने की होती है।
हर सुबह 20 किलोमीटर साइकिलिंग… यह केवल दूरी पार करना नहीं बल्कि खुद के भीतर हर दिन एक नई ऊर्जा जगाना है। पैडल मारते समय निकलती हवा और पसीने में घुली थकान उनके व्यक्तित्व का वह हिस्सा बन चुकी है जिसने उन्हें शारीरिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी अतुलनीय रूप से मजबूत किया है। साइकिलिंग का यह सिलसिला वर्षों से लगातार जारी है। यह दिनचर्या उन्हें सिखाती है कि थकान चाहे जितनी हो रुकना नहीं है। जिम्मेदारी चाहे जितनी बड़ी हो पीछे हटना नहीं है और यही संदेश वे हर उस जवान को देना चाहते हैं जिसकी ड्यूटी 24 घंटे की तैयारी और निरंतर सजगता मांगती है।
साइकिलिंग से शरीर को गतिशीलता और सहनशक्ति मिलती है और उसी संतुलन को बनाए रखने के लिए उनके दिन का दूसरा महत्वपूर्ण हिस्सा है एक घंटा योग। योग उनके लिए सिर्फ़ व्यायाम नहीं बल्कि मन को स्थिर और शांत रखने की प्रक्रिया है। पुलिस सेवा के तनावपूर्ण माहौल में यह ध्यान और श्वास की साधना उनकी ऊर्जा को संयमित रखती है उनके निर्णय को तेज और विचारों को स्पष्ट बनाती है।
यही कारण है कि भोपाल में पदस्थापना के दौरान दिनेश कौशल द्वारा साइकिल से अचानक फोर्स चेकिंग करना केवल एक प्रशासनिक गतिविधि नहीं थी यह उनकी सक्रियता नेतृत्व शैली और टीम के प्रति उस समर्पण का प्रतीक था जिसमें वे खुद अनुशासन का सर्वोत्तम उदाहरण बनकर सामने आते हैं।
एक अधिकारी जब खुद मेहनत करता है तो उसकी टीम उससे प्रेरणा लेकर और भी बेहतर प्रदर्शन करती है। आज जब सामाजिक जीवन में आराम, आलस्य और तनाव ने युवाओं के उत्साह को चुनौती दी है तब दिनेश कौशल का यह जीवन उन सबके लिए एक जीवंत संदेश है—“फिटनेस कोई शौक नहीं बल्कि जीवन को सक्षम बनाने का संकल्प है।”
उनकी दिनचर्या यह साबित करती है कि चाहे काम कितना भी कठिन हो चाहे समय कितना भी कम हो अगर संकल्प पक्का हो तो इंसान अपने शरीर और मन दोनों को मजबूत बनाए रख सकता है और यही शक्ति उसे अपने कर्तव्य में सर्वश्रेष्ठ बनने की दिशा देती है।
मध्य प्रदेश पुलिस के जवानों के लिए यह कहानी केवल प्रेरणा नहीं बल्कि एक मार्गदर्शन है कि वर्दी पहनने वाला हर प्रहरी तभी सबसे प्रभावी बनता है जब उसका शरीर सक्षम और मन अनुशासित हो। इसी प्रकार देश के हर युवा के लिए यह सीख है कि असली सफलता शॉर्टकट में नहीं बल्कि अनुशासन और रोज़ की मेहनत में छिपी है। अंत में दिनेश कौशल का यह जीवन संदेश देता है कि—“वर्दी के साथ जिम्मेदारी निभानी है… तो फिटनेस को अपना संकल्प बनाना होगा।”
*इनसेट बॉक्स*
20 किमी साइकिलिंग और प्रतिदिन 1 घंटा योग यह दिनचर्या पुलिस अधीक्षक दिनेश कौशल के लिए सिर्फ़ व्यायाम नहीं बल्कि वह संकल्प है जो उनके कर्तव्य, मनोबल और नेतृत्व को हर दिन मजबूत करता है। वर्दी के साथ मिली जिम्मेदारी को निभाने के लिए उन्होंने फिटनेस को हथियार बनाया और आज उनकी यह दिनचर्या अनगिनत पुलिसकर्मियों व युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है।
लेखक सन्तोष कुमार
संपादक
दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र भोपाल
9755618891

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