लेखक : सन्तोष कुमार*
किसी भी समाज की सुरक्षा और स्थिरता उन लोगों के कंधों पर टिकी होती है जो दिन-रात अपने परिवार से दूर रहकर अपनी जान जोखिम में डालकर जनता की रक्षा करते हैं। ऐसे प्रहरी जब अपने कर्तव्य पथ पर शहीद होते हैं तो केवल एक घर ही नहीं पूरा प्रदेश शोक में डूब जाता है। इंस्पेक्टर आशीष शर्मा की शहादत ऐसा ही एक क्षण है जिसने मध्य प्रदेश को गहरे दुःख और गर्व से भर दिया।
अमर शहीद इंस्पेक्टर आशीष शर्मा की पार्थिव देह जब तिरंगे में लिपटकर अंतिम विदाई स्थल पर पहुँची तो वातावरण की गंभीरता हर व्यक्ति के दिल तक उतर रही थी। उनके साथी पुलिसकर्मी, वरिष्ठ अधिकारी, राजनीतिक प्रतिनिधि और आम नागरिक सबकी आंखें नम थीं। भीड़ में मौजूद हर चेहरा मानो यह कह रहा था कि किसी ने अपना बेटा खोया है किसी ने अपना भाई और किसी ने अपना संरक्षक।
इसी दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव वहां पहुँचे और उन्होंने विनम्रता के साथ पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री का यह झुकना केवल एक संवैधानिक पद का नमन नहीं था बल्कि एक प्रदेश की ओर से उस वीर पुत्र को अंतिम प्रणाम था जिसने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनके चेहरे पर झलकती गंभीरता यह स्पष्ट कर रही थी कि यह क्षति अपूरणीय है और प्रदेश हमेशा इस बलिदान का ऋणी रहेगा।
इंस्पेक्टर आशीष शर्मा निस्संदेह उन अधिकारियों में से थे जिनके लिए कर्तव्य सर्वोच्च था। वे अपने काम को केवल पेशा नहीं बल्कि सेवा मानते थे। चाहे रात हो या दिन खतरा कितना भी बड़ा क्यों न हो वे हमेशा अग्रिम पंक्ति में दिखाई देते थे। उनके सहकर्मी अक्सर कहा करते थे—आशीष सर के साथ खड़े रहने का मतलब है सुरक्षा के किसी पहाड़ की ओट में खड़े होना।
उनका पुलिस कार्यकाल साहस और अनुशासन का उत्कृष्ट मिश्रण था। उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण ऑपरेशनों को सफलता पूर्वक पूरा किया और हमेशा टीम का नेतृत्व निर्भीकता से किया। उनकी शांत और दृढ़ प्रकृति उन्हें एक आदर्श अधिकारी बनाती थी। वे उन दुर्लभ पुलिसकर्मियों में से थे जो कड़ाई और संवेदनशीलता दोनों को संतुलित रखते थे।
उनकी शहादत केवल एक व्यक्ति की हानि नहीं है यह समाज की उस ऊर्जा का क्षरण है जिसे दोबारा पाना संभव नहीं। एक परिवार ने अपना आधार खोया लेकिन प्रदेश ने एक ऐसा वीर खो दिया जिसकी जगह कोई नहीं ले सकता। जब उनकी पार्थिव देह पर फूल बरसाए जा रहे थे तब हर आंख के सामने उनका मुस्कुराता चेहरा था वही मुस्कान जो उनके साथियों का हौसला बढ़ाती थी और अपराधियों के लिए एक सख्त संदेश थी।
मुख्यमंत्री ने शहीद के परिजनों से भेंट कर उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रदेश सरकार उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और न केवल आज बल्कि भविष्य में भी परिवार को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होने दी जाएगी। यह आश्वासन केवल संवेदना नहीं बल्कि उस जिम्मेदारी का हिस्सा है जिसे सरकार अपने वीरों के लिए निभाती है।
आज जब पूरा मध्य प्रदेश शहीद इंस्पेक्टर आशीष शर्मा की बहादुरी को याद कर रहा है तो एक ही भावना हर हृदय में उठती है गौरव और कृतज्ञता। उनका त्याग आने वाली पीढ़ियों को साहस, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्रप्रेम का पाठ पढ़ाता रहेगा।
*इनसेट बॉक्स 1*
इंस्पेक्टर आशीष शर्मा भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका साहस उनकी वर्दी के प्रति निष्ठा और उनके बलिदान की गूंज समय की सीमा से परे हमेशा जीवित रहेगी। उनके कदमों के निशान हमेशा उस राह को उजागर करते रहेंगे जिस पर चलकर कई नए प्रहरी देश की सेवा के लिए प्रेरित होंगे।
अमर शहीद इंस्पेक्टर आशीष शर्मा को शत-शत नमन।
*इनसेट बॉक्स 2*
तिरंगे में लिपटी इंस्पेक्टर आशीष शर्मा की पार्थिव देह जब अंतिम विदाई के लिए पहुँची तो हवा तक स्तब्ध थी। यह केवल एक अधिकारी की अंतिम यात्रा नहीं थी यह साहस,त्याग और राष्ट्रभक्ति का वह उजला अध्याय था जिसे प्रदेश हमेशा गर्व से याद करेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा अर्पित पुष्प चक्र उस सम्मान का प्रतीक था जो एक पूरे समाज की ओर से अपने अमर प्रहरी को अंतिम नमन बनकर पहुंचा।
लेखक
सन्तोष कुमार संपादक
दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र भोपाल
9755618891

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