लेखक : सन्तोष कुमार*
मध्य प्रदेश शासन द्वारा संचालित डायल 112 सिर्फ एक आपातकालीन सेवा नहीं बल्कि भय और सुरक्षा के बीच खड़ा एक ऐसा मानवीय सेतु है जो हर नागरिक को पल-पल यह भरोसा दिलाता है कि “आप अकेले नहीं हैं।
जीवन की आपाधापी में हम सभी कई अनपेक्षित परिस्थितियों से गुजरते हैं सड़क दुर्घटनाएं, आग लगने की घटनाएं, घरेलू हिंसा, बच्चों का गुम होना, बुज़ुर्गों का अकेलापन, या अचानक आई कोई चिकित्सीय समस्या। ऐसे क्षणों में इंसान की आवाज़ अक्सर कांपती है सांसें उलझती हैं और दिल किसी अदृश्य सहारे को ढूँढता है। डायल 112 उसी सहारे की तरह है एक ऐसा हाथ जो अंधेरे में भी आपको थाम लेता है। डायल 112 की सबसे बड़ी खूबी है उसकी त्वरित प्रतिक्रिया जैसे ही फोन की घंटी कंट्रोल रूम में बजती है एक पूरा सिस्टम बिजली की तेजी से सक्रिय हो जाता है। 24×7 उपलब्ध कॉल-टेकर्स संवेदनशीलता से बात सुनते हैं आवाज़ के डर को पढ़ते हैं और कुछ ही सेकंड में नज़दीकी FRV को घटना स्थल की ओर भेज देते हैं। यह सेवा सिर्फ मशीनों से नहीं चलती यह उन लोगों के दिल से चलती है जो हर कॉल को किसी अनजान की पुकार नहीं बल्कि अपने ही परिवार के सदस्य की आवाज़ मानकर जवाब देते हैं।
हर FRV टीम में शामिल अधिकारी एक अदृश्य भावनात्मक कवच लेकर चलते हैं वे गली-कूचों में दौड़ते हुए सिर्फ नियम नहीं निभाते बल्कि उस इंसान को बचाते हैं जिसके पीछे कोई और खड़ा नहीं होता। एक घायल युवक को उठाते समय एक रोती हुई महिला को सहारा देते समय या सड़क पर अकेले पड़े किसी बुज़ुर्ग को अस्पताल पहुँचाते समय उनकी आँखों में सिर्फ कर्तव्य नहीं इंसानियत की चमक भी दिखाई देती है। डायल 112 की उन्नत तकनीक GPS आधारित वाहन लोकेशन, बॉडी कैमरा, डैशकैम, नंबर मास्किंग और विशिष्ट कॉल रिकॉर्डिंग यह सब उसकी विश्वसनीयता को और मजबूत बनाते हैं। लेकिन असली जादू तकनीक में नहीं उस संवेदनशीलता में है जो हर कॉल के साथ बहती है। कोई बच्चा खो जाए तो FRV टीम सिर्फ तलाश नहीं करती बल्कि उस मां की धड़कनों के बेचैन तूफान को भी समझती है। सड़क पर हुए हादसे में जब कोई चोटिल व्यक्ति दर्द से कराहता है तो उसे उठाते समय उनकी आँखों में दया और अपनापन झलकता है।
यह सेवा उन अनगिनत भावनात्मक कहानियों से बनी है जिनके पीछे किसी की जान बच गई, किसी घर का चिराग बुझने से बच गया, किसी परिवार की दुनिया फिर से बस गई। डायल 112 यह साबित करती है कि “पुलिस” सिर्फ कानून का नाम नहीं वह मानवीय संवेदनाओं का प्रहरी भी है जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में नागरिकों को सुरक्षित रखने की शपथ निभाती है। आज डायल 112 मध्य प्रदेश की पहचान है सुरक्षा, तत्परता और इंसानियत की पहचान। यह सेवा हमें यह विश्वास दिलाती है कि आपात स्थिति में मदद पाने के लिए अब कई नंबर याद रखने की जरूरत नहीं; बस एक नंबर, एक प्रयास और एक टीम आपके साथ खड़ी है। अंत में यह कहना गलत नहीं होगा कि—डायल 112 सिर्फ एक नंबर नहीं जीवन का सम्मान करने वाली वह भावना है जो हर नागरिक के लिए उम्मीद बनकर दौड़ती है।
*इनसेट बॉक्स*
जब किसी की सांसें डर की गिरफ्त में कांपती हैं जब कोई घायल सड़क पर अकेला पड़ जाता है जब कोई रोती आवाज़ फोन पर फुसफुसाती है— ‘मदद कीजिए’… तब डायल 112 सिर्फ सायरन के साथ नहीं बल्कि इंसानियत की धड़कन बनकर पहुंचती है। यह सेवा साबित करती है कि सुरक्षा सिर्फ सरकारी व्यवस्था नहीं मानवता का सबसे बड़ा धर्म है।
लेखक
सन्तोष कुमार संपादक
दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र भोपाल
9755618891

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