लेखक : सन्तोष कुमार
मल्हारगढ़ थाने की शुक्रवार की सुबह कुछ अलग थी दीवारें वही थीं, मेज़ वही थी और वही थका-सा पंखा छत पर घूमता रहा लेकिन हवाओं में एक नई चमक तैर रही थी। यह चमक आई थी उन अनगिनत रातों से जब इस छोटे से थाना परिसर में जागती आंखों ने नींद के बदले जिम्मेदारी चुनी, जब खतरे के बीच दौड़ते कदमों ने ड्यूटी को परिवार से भी ऊपर रखा और जब थकान से बोझिल कंधों ने फिर भी आम नागरिकों की सुरक्षा का भार मुस्कुराकर उठा लिया। शुक्रवार को देश ने उस समर्पण को महसूस किया मल्हारगढ़ जिला मंदसौर देश के श्रेष्ठ पुलिस थानों में 9वां स्थान पाकर भारत के मानचित्र पर चमक उठा।
रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने जब श्रेष्ठ पुलिस थानों की सूची घोषित की तो इस छोटे से थाने का नाम बड़े शहरों बड़ी सुविधाओं और बड़े बजट वाले थानों के बीच ऐसे उभरा जैसे कोई सादगी में छिपा हुआ कीमती रत्न। यह सिर्फ एक रैंक नहीं थी यह उन महीनों, सालों और दशकों का पुरस्कार था जिनमें इस थाने ने बिना शोर, बिना प्रचार और बिना किसी विशेष संसाधन के सिर्फ ईमानदारी, संवेदनशीलता और हिम्मत के सहारे काम किया।
मल्हारगढ़ की इस उपलब्धि की प्रतिध्वनि शुक्रवार की रात देश की सुरक्षा व्यवस्था की सबसे ऊंची मेज तक पहुँची। पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा समेत चुनिंदा डीजीपी जब रात्रिभोज पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से संवाद कर रहे थे तो उस बातचीत में कहीं न कहीं मल्हारगढ़ की उपलब्धि की गूंज भी थी। यह गूंज बताती है कि किसी भी छोटे जिले की मेहनत देश की सुरक्षा व्यवस्था के बड़े नक्शे में कितनी महत्वपूर्ण होती है। यह उपलब्धि सिर्फ एक पुलिस स्टेशन की नहीं उन तमाम लोगों की भी है जिनके कदमों ने, जिनकी रपटों ने, जिनकी परेशानियों ने और जिनके भरोसे ने इस थाने को सशक्त किया। यह उन परिवारों का भी सम्मान है जिन्होंने अपने घर के किसी सदस्य को देर रात तक ड्यूटी करते हुए देखा पर कभी उनके चेहरे पर शिकायत नहीं लाई।
मल्हारगढ़ का यह सम्मान बताता है कि वर्दी की असली चमक सितारों और बैजों में नहीं बल्कि उस पसीने में है जो हर दिन सड़क पर गिरता है उन आंखों में है जो रात की ड्यूटी में नींद को हराकर जनता के लिए जागती हैं और उस दिल में है जो कर्तव्य को बोझ नहीं बल्कि सेवा मानकर धड़कता है। मल्हारगढ़ ने देश को यह याद दिला दिया कि भारत का असली सुरक्षा कवच सिर्फ संसदों और कमांड कंट्रोल रूमों में नहीं बनता वह बनता है इन छोटे-छोटे थानों में उन अनगिनत पुलिसकर्मियों के समर्पण से जिनके नाम हम भले न जानें लेकिन जिनकी वजह से हम हर दिन सुरक्षित घर लौटते हैं। यह विजय सिर्फ मल्हारगढ़ की नहीं यह उन सभी वर्दियों की है जो चुपचाप बिना तमगा चाहें, अपने हिस्से के अंधेरों में रोशनी जलाए रखती हैं।
*इनसेट बॉक्स*
*मल्हारगढ़ थाना वह जगह है जहाँ चमक किसी इमारत या बजट से नहीं बल्कि उन थके हुए कंधों से निकली है जो हर दिन जनता की उम्मीदें उठाते हैं। यहाँ सम्मान किसी घोषणा का मोहताज नहीं यह उन रातों से जन्मा है जब बारिश ठंड या खतरे के बीच भी वर्दी ने ड्यूटी नहीं छोड़ी। देश के श्रेष्ठ थानों में नौवां स्थान मिलना सिर्फ एक उपलब्धि नहीं उन अनगिनत त्यागों की गवाही है जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं बनता पर जिनकी बदौलत एक छोटे से थाना परिसर ने पूरे देश में गर्व और उम्मीद की लौ जगा दी है।*
लेखक सन्तोष कुमार
संपादक दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र भोपाल
9755618891


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