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चंबल की मिट्टी से उठी सच्चाई की आवाज़—डॉ. गोविंद सिंह

*लेखक : सन्तोष कुमार* 

मध्य प्रदेश की राजनीति में जनसेवा की जिस लौ को आज भी सबसे पवित्र और सबसे विश्वसनीय माना जाता है उस लौ का नाम है डॉ. गोविंद सिंह। 

चंबल की कठोर मिट्टी से निकले इस व्यक्तित्व ने राजनीति को कभी कुर्सी का खेल नहीं बनने दिया उन्होंने इसे जीवनभर सेवा, तपस्या और नैतिकता की साधना के रूप में जिया। डॉक्टर बनने के बाद जब उन्होंने समाज की राह पकड़ी तब उन्हें कई बार कहा गया कि राजनीति कठिन है रास्ता संघर्ष से भरा है पर शायद वे उसी मिट्टी से बने थे जिसमें कठिनाइयाँ भी शक्ति बनकर उभरती हैं। यही कारण है कि दशकों पहले शुरू हुई उनकी यात्रा आज भी प्रदेश की राजनीति में ईमानदारी और जनविश्वास की सबसे सशक्त आवाज़ के रूप में सुनी जाती है।


सत्ता में हों या विपक्ष में डॉ. गोविंद सिंह हमेशा जनता की तरफ खड़े दिखे। विधानसभा में उनकी आवाज़ संयमित होते हुए भी इतनी प्रखर होती है कि मुद्दे खुद पर मजबूती से खड़े हो जाते हैं। वे आरोपों की राजनीति नहीं करते वे तथ्यों संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी की राजनीति करते हैं। जब वे बोलते हैं तो सदन में सिर्फ एक नेता की नहीं बल्कि लोगों के जीवन संघर्ष और उम्मीदों की सार्थक गूंज सुनाई देती है। यही कारण है कि विरोध भी उनकी दलीलों के आगे सम्मान से खड़ा होता है।

मंत्री रहते हुए उनका सबसे बड़ा फोकस रहा ग्रामीण विकास, किसानों की सुरक्षा और सहकारिता व्यवस्था में पारदर्शिता। वे जानते थे कि मध्य प्रदेश की असली ताकत उसके गांवों में है और गांवों की धड़कन उसके किसान हैं। इसलिए उन्होंने हर नीति को कागज़ों से निकालकर ग्रामीण धरातल पर उतारा। सहकारी संस्थाओं में पारदर्शिता के उनके कदमों ने यह संदेश दिया कि राजनीति का मूल्य भाषणों से नहीं बल्कि उन फैसलों से तय होता है जो जनता का जीवन सुधारते हैं। किसानों के मुद्दों पर उनकी समझ किताबों से नहीं बल्कि जमीन की सच्चाई से निकली थी।

उनकी सादगी उन्हें अलग पहचान देती है। आज जब राजनीति में चमक-दमक और प्रचार का शोर बढ़ गया है तब डॉ. गोविंद सिंह का सरल, सहज और मानवीय रूप यह प्रमाण है कि जनता का दिल जीतने के लिए सबसे प्रभावी हथियार ईमानदारी सेवा और संवेदनशीलता है। वे जहां जाते हैं लोग उन्हें नेता की तरह नहीं अपने परिवार के सदस्य की तरह देखते हैं यह सम्मान किसी पद से नहीं बल्कि चरित्र से मिलता है।

विधानसभा में उनके शब्दों में वर्षों के संघर्ष की गर्माहट और जनता की उम्मीदों की सच्चाई सुनाई देती है। वे मुद्दों पर बोलते हैं तथ्यों पर टिके रहते हैं और हर बार सत्ता को उसकी जिम्मेदारियों की याद दिलाते हैं। आज जब राजनीति अक्सर कटाक्ष और ध्रुवीकरण की राह पकड़ लेती है तब डॉ. गोविंद सिंह जैसे नेता यह याद दिलाते हैं कि लोकतंत्र की असली नींव तर्क संवेदना और जनसम्मान है।

उनका जीवन यह संदेश देता है कि राजनीति में महानता सत्ता से नहीं बल्कि चरित्र से आती है और वह चरित्र वही गढ़ पाता है जो हर परिस्थिति में जनता के साथ खड़ा रहता है। डॉ. गोविंद सिंह की ईमानदारी, संघर्ष और सेवा की परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा बनी रहेगी।

चंबल की मिट्टी ने जिस सच्चाई की आवाज़ को जन्म दिया है वह आज भी उतनी ही मजबूती से गूंजती है और उसका नाम है- डॉ. गोविंद सिंह।

*इनसेट बॉक्स* 

*डॉ. गोविंद सिंह की सबसे बड़ी ताकत उनका व्यक्तित्व है एक ऐसा व्यक्तित्व जिसमें नेता की दूरी नहीं बल्कि अपनत्व की मिट्टी की खुशबू बसती है। वे आज भी अपने क्षेत्र के किसी भी घर में उसी सहजता से पहुंच जाते हैं जैसे घर का बेटा अचानक लौट आया हो। उनकी सादगी और आत्मीयता लोगों के दिलों में वह जगह बनाती है जो किसी पद या प्रचार से नहीं मिल सकती। राजनीति की चमक में भी उनका यह मानवीय रूप याद दिलाता है कि असली शक्ति पद की नहीं बल्कि इंसानियत की होती है।

लेखक सन्तोष कुमार संपादक 

दैनिक अमन संवाद समाचार पत्र भोपाल 

मो न 9755618891


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