जिनेश जैन
अमन संवाद / दमोह
दमोह जिले के बटियागढ़ थाना अंतर्गत फुटेरा कला गाँव में पुलिस चौकी इन दिनों सिर्फ कानून-व्यवस्था का केंद्र नहीं बल्कि बच्चों की शिक्षा और मुस्कान का अड्डा बन गई है और इस बदलाव की वजह हैं एएसआई आनंद कुमार अहिरवार जिन्होंने वर्दी की कठोर छवि को संवेदनशीलता और मानवता से भर दिया है। गाँव के लोग गर्व से बताते हैं कि आनंद कुमार रोज़ अपने अतिरिक्त समय में लगभग 30 बच्चों को पढ़ाते हैं जो अपने माता-पिता के रोजगार के कारण पढ़ाई से दूर हो गए थे। सुबह 11 से दोपहर 1 बजे और शाम 5 से 6 बजे तक चौकी में लगने वाली कक्षाएँ बच्चों को दोबारा शिक्षा से जोड़ने का माध्यम बन गई हैं और उसके बाद वही बच्चे उत्साह से बैडमिंटन,कबड्डी और अन्य खेल खेलते हैं मानो यह चौकी नहीं एक नई जीवनशाला हो जहाँ हर बच्चे को भविष्य का भरोसा मिलता है। बाल दिवस के दिन आनंद कुमार बच्चों को स्कूल ले गए ताकि वे महसूस कर सकें कि वे भी किसी से कम नहीं और शिक्षा उनकी भी दुनिया है। उनका कहना है कि वे इन बच्चों को इस तरह तैयार कर रहे हैं कि अगले सत्र में वे नियमित स्कूल जाकर फिर से अपनी पढ़ाई को निरंतर आगे बढ़ा सकें। यह प्रयास न सिर्फ एक शिक्षक का बल्कि एक समाजसेवी का है जो यह मानता है कि किसी भी बच्चे का भविष्य परिस्थितियों की वजह से अंधेरा नहीं होना चाहिए। विशेष गहन पुनरीक्षण प्रशिक्षण के दौरान जब कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर गाँव पहुँचे और ग्रामीणों से इस पहल के बारे में सुना तो उन्होंने आनंद कुमार की खुलकर प्रशंसा की और जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया कि उन्हें प्रशंसा पत्र जारी किया जाए। कलेक्टर कोचर का यह कहना कि ऐसे लोग प्रशासन के लिए प्रेरणा हैं स्वयं इस बात का प्रमाण था कि आनंद कुमार का काम केवल दायित्व नहीं बल्कि समाज के प्रति एक गहरी संवेदनशीलता का परिचय है।
फुटेरा कला की यह कहानी साबित करती है कि असली बदलाव बड़े संसाधनों से नहीं बल्कि दिल से किए गए छोटे लेकिन ईमानदार प्रयासों से आता है। एएसआई आनंद कुमार अहिरवार आज उस बदलाव का चेहरा हैं एक ऐसी वर्दी जो सिर्फ सुरक्षा नहीं बल्कि शिक्षा, समानता और आशा का प्रतीक बन गई है।

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