नवीन दाण्डिक कानून में मध्यप्रदेश मे पहली बार किसी को दिया गया है मृत्युदण्ड
आरोपी की मां एवं बहन को दो वर्ष का हुआ कारावास
पीड़ित परिवार को 4 लाख रूपये को दी गई प्रतिकर राशि
अमन संवाद/भोपाल
संभागीय जनसम्पर्क अधिकारी मनोज त्रिपाठी भोपाल ने बताया कि मंगलवार को न्यायालय श्रीमती कुमुदिनी पटेल विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट के द्वारा पांच वर्ष की अबोध बालिका का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म कर हत्या करने वाले आरोपी अतुल निहाले को धारा 87, 65(2), 64(2)एल, 64(2)एम बार-बार, 66, 103, 238(क) बीएनएस एवं धारा 5एम,एल, जे(आई,व्ही)/6 पॉक्सो एक्ट दोषसिद्ध पाते हुये आरोपी अतुल निहाले को धारा 64(2)(एल) बीएनएस एवं 5 जे (i)/6 पॉक्सो एक्ट मे मृत्युदण्ड की सजा एवं 100 रू अर्थदण्ड, धारा 66 बीएनएस एवं 5 जे (iv)/6 पॉक्सो एक्ट मे मृत्युदण्ड की सजा एवं 100 रू अर्थदण्ड, धारा 103 बीएनएस मे मृत्युदण्ड की सजा एवं 100 रू अर्थदण्ड, धारा 65(2) बीएनएस एवं 5 (एम)/6 पॉक्सो एक्ट मे आजीवन कारावास शेष प्राकृतिक जीवन के लिये एवं 100 रू अर्थदण्ड, धारा 64(2)एम (बार-बार) बीएनएस एवं 5 (एल)/6 पॉक्सो एक्ट मे आजीवन कारावास शेष प्राकृतिक जीवन के लिये एवं 100 रू अर्थदण्ड, धारा 87 बीएनएस मे 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 100 रू अर्थदण्ड, धारा 238(क) बीएनएस मे 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 100 रू अर्थदण्ड, सहआरोपी अतुल की माता बंसती को धारा 238(क) बीएनएस मे 02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 100 रू अर्थदण्ड, उसकी बहन चंचल को धारा 238(क) बीएनएस मे 02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 100 रू अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने का निर्णय पारित किया है। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुश्री दिव्या शुक्ला द्वारा पैरवी की गई है।
*घटना का संक्षिप्त विवरण :-*
24 सितम्बर 2024 को पीडिता की माँ थाना शाहजहानाबाद मे अपनी 5 वर्ष की अबोध बच्ची के गुम हो जाने की सूचना दर्ज कराई थी, अभियोक्त्री की मॉ ने बताया कि मेरी पुत्री दिनांक 24 सितम्बर 2024 को दोपहर 12 बजे अपनी दादी के साथ बडे पापा के फ्लैट मे गई थी, बच्ची ने अपनी दादी से कहा कि वह अपनी किताबें, कॉपी और पेन लेकर आती हॅू और कह कर नीचे गई जब बच्ची करीब 15 से 20 मिनट तक घर वापस नही आई तो बच्ची की दादी उसे नीचे देखने गई तब बच्ची उसे नही मिली सभी लोग मिलकर बच्ची को ढूढने लगे मैंने अपने पति को फोन पर सूचना दी और उनके आने पर थाना मे रिपोर्ट लिखवाने आ गई पुलिस द्वारा आसपास लगे सी.सी.टी.व्ही. कैमरे की जॉच की गई दूरदर्शन केन्द्र के माध्यम से प्रसारण किया तथा ईनाम की उदृघोषणा भी गई थी, घटना की गंभीरता को देखते हुये बच्ची की तलाश के लिये पर्याप्त बल ड्रोन कैमरे और डॉग स्काट की सहायता ली गई तथा आसपास बहुत से लोगो से पूछताछ की गई तथा पूरी मल्टी को छावनी मे तब्दील कर दिया जिससे आने जाने वाले लोगों का पता चल सके। तलाशी के दौरान फ्लैट एफ 02 के पास से बहुत अधिक बदबू आ रही थी तलाशी टीम ने दरवाजा खुलवाया तो बंसती बाई एवं चंचल (आरोपी की मा एवं बहन) ने बताया कि चूहा मरा हुआ है और वह फिनायल का पोंछा लगाई है उसकी बदबू आ रही है। जब सर्च टीम ने तलाशी की बात की तो वह घबरा गई तो सर्च टीम को शंका होने पर घर की तलाशी करने पर घर की महिलाए काफी चिल्ला,चोट करने लगी और कहने लगी पुलिस हमें परेशान कर रही है और रास्ता रोक कर खडी हो गई जब बहुत देर तक महिला नही हटी तब उन्हें महिला पुलिस द्वारा उन्हें हटाकर अंदर जॉचने पर रैक पर चढकर देखने पर एक सफेद प्लास्टिक की पानी की टंकी दिखाई दी जहॉ से काफी र्दुगंध आ रही थी। टंकी में एक पोटली रखी थी पोटली का कपडा हटाने पर बच्ची का पैर दिखाई दिया जिसके पश्चात बच्ची का चेहरा देखकर पहचान कराई गई। उसका शव अकड़ चुका था। टंकी का मुंह छोटा होने से वह बाहर नही निकल रहा था टंकी को लेकर एम्स अस्पताल पुलिस बल लेकर गई जहा पर उसका परीक्षण किया गया था जहॉ बच्ची के साथ बलात्कार होने तथा उसके शरीर एवं प्रायवेट पार्ट पर फटे होने के निशान तथा उसके दोनो कंधे टूटे ज्ञात हुये तब फ्लैट एफ 02 के निवासी बंसती बाई, चंचल एवं अतुल निहाले से पूछताछ करने पर अतुल निहाले ने पूरी घटना पुलिस के समक्ष बताया और बंसती बाई और चंचल ने घटना को छुपाने मे मदद करना बताया। आरोपी अतुल के निशान देही पर बच्ची के कपड़े व कपड़ा जिससे बच्ची का खून साफ किया था तथा चाकू बरामद हुआ था। डीएनए कराये जाने पर डीएनए पॉजिटिव आया था। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत समस्त साक्षियों के परिपेक्ष मे न्यायालय द्वारा आरोपीगण को दोष सिद्धि किया गया था। दण्ड के प्रश्न पर सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा आरोपी अतुल का 2015 को एक पर्चा जिसमें बीएमडी इन मेनिया लिखा था प्रस्तुत किया और कहा कि आरोपी मानसिक रूप से बीमार है और आर्थिक तंगी के कारण ईलाज नही करा पाया था। विशेष न्यायालय द्वारा जिला चिकित्सालय के डाक्टरों के पैनल से उक्त संबंध मे जॉच कराई थी रिपोर्ट मे आरोपी मानसिक स्वस्थ्य होना पाये जाने पर विशेष न्यायालय ने दण्डादेश पारित किया है।
विशेष न्यायालय श्रीमती कुमुदिनी पटेल ने अभियुक्त को केपिटल पनिशमेंट देते हुये लेख किया कि अभियुक्त की पिशाचिक प्रवृत्ति,अपराध करने का तरीका जिसके अंतर्गत उसके द्वारा बच्ची के प्रायवेट पार्ट को चाकू से चौड़ा कर विरोध करने पर शरीर के अन्य अंगो पर प्रहार कर मासूम की हत्या कर दी गई तथा उसके बाद अबोध बच्ची से हिंसा, बलात्कार, हत्या के बाद किसी प्रकार विचलित न होते हुये सुनियोजित ढंग से शव का निर्वतन करने का प्रयास किया जो कि उसकी धूर्तता व चालाकी को दर्शाता है। खून को पोंछने के बाद मासूम के पैरों को बांधकर शव को पोटली में लपेटकर बाथरूम के उपर रखी प्लास्टिक की टंकी में रखकर व पुलिस के साथ बच्ची को ढूढने का प्रयास यह स्पष्ट दर्शाता है कि उसने संपूर्ण होश-हवास में अपने कुकृत्य को अंजाम दिया। अभियुक्त के कृत्य से यह स्पष्ट रूप से दिखता है कि यदि अभियुक्त को उचित दण्ड नहीं दिया गया तो समाज के सामाजिक मूल्यों व व्यक्तिगत जीवन को कितना बड़ा खतरा पैदा होगा इसकी परिकल्पना भी नही की जा सकती और उसके द्वारा किये गये अपराध की प्रकृति को देखते हुये इसकी बिल्कुल भी परिकल्पना नही की जा सकती कि अभियुक्त्त में कोई सुधार होने की गुजाईश है। अभियुक्त अत्यंत क्रूर,निर्मम, घोर, परपीडक व पाश्विक स्वरूप का है। प्रकरण में अभियुक्त के पक्ष में गंभीर एवं उपशमनकारी परिस्थितियों पर विचार कर इस न्यायालय का यह निष्कर्ष है कि गंभीर परिस्थितियों उपशमनकारी परिस्थितियों से अधिक है तथा यह स्पष्ट है कि यह प्रकरण दुर्लभतम मामलों की श्रेणी मे आता है जहॉं अन्य सजा का सवाल नि:संदेह समाप्त हो जाता है। यदि कोई मामला है जिसके लिये मौत की सजा दी जानी चाहिये तो वह यही मामला है। इस प्रकरण मे पॉच वर्ष की बच्ची को जिस तरह से तड़पाकर, बलात्कार कर हत्या की है यह अपराध दुलर्भतम श्रेणी मे नहीं आयेगा तो सोच से परे है यदि हम बच्चों को ऐसा समाज नही दे सकते हैं कि वह अपने ही ऑंगन,घर,स्कूल में खेल सके तो फिर सभ्य समाज की परिकल्पना कैसे की जा सकती है। जबकि सामाजिक सुरक्षा भारत के संविधान का मूलभूत तत्व है। क्या ऐसे नर-पिशाच,राक्षस को छोडना मानवाधिकार के अंर्तगत आता है? यदि मृत्युदण्ड से कोई बड़ी सजा है तो आरोपी उसका पात्र है।
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