*भविष्य के लिए नैतिक और मजबूत नेतृत्व तैयार करने की आवश्यकता* : *डॉ पेडनेकर*
*शिक्षा से ज्ञान, ज्ञान से चरित्र, चरित्र से राष्ट्र का निर्माण विषय पर व्याख्यान*
अमन संवाद/भोपाल
हमें विश्व का नेतृत्व करने वाले विकसित भारत का निर्माण करना है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए हमें बहुआयामी, ज्ञान, नैतिक मूल्यों और चारित्रिक गुणों से युक्त सकारात्मक युवा नेतृत्व तैयार करने की आवश्यकता है। यह बात भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु डॉ सुहास पेडनेकर ने कही। वे भारतीय शिक्षण मंडल के स्थापना दिवस समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।
गुरुवार शाम रवींद्र भवन के अंजनी सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी थे। भाशिमं के उच्च शिक्षा गतिविधि प्रमुख एवं भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइसर) के निदेशक डॉ गोवर्धन दास विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाशिमं के अखिल भारतीय महामंत्री एवं निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग मप्र के अध्यक्ष डॉ भरत शरण सिंह ने की। कार्यक्रम का आयोजन भाशिमं मध्यभारत प्रांत भोपाल महानगर द्वारा किया गया।
डॉ पेडनेकर ने आगे कहा कि
हमें भविष्य के लिए ऐसे नैतिक नेतृत्व के निर्माण की आवश्यकता है जो देश के लिए मजबूत, संस्कारवान और मूल्यवान नेतृत्व दे सके।
उन्होंने कहा कि संस्कृत और संस्कृति से संस्कार आते हैं। संस्कारों से समृद्धि आनी चाहिए और समृद्धि मूल्य आधारित होना चाहिए। हमारी समृद्धि ऐसी होनी चाहिए जिससे हम समाज को कुछ दे सकें और राष्ट्र का पुनर्निमाण कर सकें। उन्होंने कहा कि भारतीय मूल्य और भारतीय शिक्षा का क्रियान्वयन हमारी जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथ विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि भारत में ज्ञान की महान परंपरा रही है। देश में आचार्य चाणक्य जैसे महान गुरु और आदि गुरु शंकराचार्य जैसे महान शिष्य इस देश में हुए हैं। पश्चिमी शिक्षा व्यवस्था ने भारत में शिक्षा को केवल नौकरी पाने का माध्यम बना दिया। आज की शिक्षा समाज को आत्मकेंद्रित बना रही है। भारत के ज्ञान को राष्ट्र निर्माण तक ले जाने की यात्रा हमें पूर्ण करना है।
विशिष्ट अतिथि डॉ गोवर्धन दास ने कहा कि अब भारत को विकसित भारत बनाना है। देश के युवाओं पर यह दायित्व है कि वे भारत को श्रेष्ठ बनाने के लिए संकल्पित होकर कार्य करें।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ भरत शरण सिंह ने कहा कि भारत इस समय परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। 2047 में विकसित भारत बनाना है। हमारे विकास का मॉडल भारतीय होना चाहिए क्योंकि हमें भारत को भारत ही बनाना है।
प्रारंभ मे अतिथि परिचय भाशिमं के प्रांत अध्यक्ष डॉ नरेंद्र थापक ने कराया। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल के निदेशक प्रो. रमाकांत पांडेय ने कार्यक्रम की प्रस्तावना का वाचन किया। भाशिमं के प्रांत मंत्री डॉ शिवकुमार शर्मा ने प्रांत में मंडल के वर्षभर के कार्यों एवं गतिविधियों की जानकारी देते हुए कार्यवृत्त प्रस्तुत किया। अंत में हरिहर गुप्ता ने आभार व्यक्त किया।
*भारतीय शिक्षण मंडल की स्थापना को हो चुके हैं 56 वर्ष*
भारतीय शिक्षण मंडल शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुनरुत्थान के उद्देश्य से कार्यरत है। इसकी स्थापना सन 1969 में रामनवमी के दिन हुई थी। भारत की एकात्म जीवन दृष्टि पर आधारित तथा देश की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक अनुभूति से उपजी, राष्ट्र के समग्र विकास पर केंद्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति,पाठ्यचर्या, व्यवस्था तथा शिक्षणविधि का विकास आदि उद्देश्यों के साथ संगठन कार्य करता है।
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