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"नशे से दूरी है जरूरी" नारे की गूंज भोपाल से लंदन तक

लेखक संतोष कुमार पत्रकार भोपाल 

लेखक संतोष कुमार पत्रकार भोपाल 

ब्रिटेन की संसद—वह ऐतिहासिक हाउस ऑफ कॉमन्स—जहां कभी सूरज न डूबने वाले साम्राज्य के शासक बैठा करते थे, वहां भारत के एक प्रदेश की पुलिस का सम्मान होना कोई मामूली घटना नहीं है। यह घटना बताती है कि गुलामी के प्रतीकों को आज हम भारतीय अपनी उपलब्धियों का मंच बना रहे हैं और इस मंच पर खड़े होकर यदि मध्य प्रदेश की पुलिस को विश्वस्तरीय सम्मान मिला है तो यह न सिर्फ पुलिस की जीत नहीं,बल्कि "सत्यमेव जयते" की विश्व पटल पर स्थापना की गूंज है।

‘नशे से दूरी है जरूरी’—यह नारा यदि लंदन की गलियों तक गूँजने लगे तो समझ लीजिए कि  प्रदेश का संदेश अब सिर्फ भोपाल ताल किनारे तक सीमित नहीं रहा, वह अब टेम्स नदी के तट तक पहुँच गया है। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने एडीजीपी के.पी. वेंकटेश्वर राव को सम्मानित किया,पदक और ट्रॉफी दी गईं। लेकिन असल में यह पुरस्कार तो उन गुमनाम सिपाहियों का है, जो थाने के चबूतरे पर बैठे रहते हैं, रात-दिन सायरन बजाते दौड़ते हैं और बिना थके ‘जन सेवा- देश भक्ति के लिए समर्पित हैं‌।


यह सब हुआ कैसे? इसके पीछे है  प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना का नेतृत्व। पुलिस का काम केवल अपराधी पकड़ना नहीं, बल्कि समाज को अनुशासन और सेवा की संस्कृति में ढालना है। मकवाना ने यही किया। यही कारण है कि अपराध नियंत्रण हो या जनसंपर्क, नशा मुक्ति हो या जनसेवा—प्रदेश पुलिस ने ऐसी छाप छोड़ी कि आज लंदन में उसकी गूंज सुनाई देती है।

समारोह का दृश्य भी रोचक था। ब्रिटिश सांसदों, भारतीय समुदाय और विश्व स्तर के प्रतिनिधियों ने मिलकर शपथ ली कि नशे को जड़ से मिटाना है। सोचिए, वही ब्रिटेन जिसने अफीम युद्धों के जरिए एशिया को बरसों तक नशे का शिकार बनाया, वहीं पर आज भारतीय पुलिस लोगों को नशा छोड़ने की शपथ दिला रही है। इतिहास भी कितना विचित्र खेल खेलता है!







यह उपलब्धि केवल एक पदक या प्रमाण पत्र नहीं है। यह हमें याद दिलाती है कि नशे की गिरफ्त से आज भी हमारा समाज पूरी तरह मुक्त नहीं है। एन सी आर बी के आंकड़े गवाही देते हैं कि 2022 में मध्य प्रदेश में ही एन डी टी एस एक्ट के तहत 4,811 मामले दर्ज हुए—जो पूरे देश में सातवें स्थान पर है। यानी समस्या गंभीर है। लेकिन गंभीरता का उत्तर भी उतना ही दृढ़ होना चाहिए। यही दृढ़ता पुलिस ने दिखाई है—कभी ड्रग फैक्ट्रियाँ पकड़ीं, कभी तस्करों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाए, तो कभी गांव-गांव जाकर बच्चों को नशे से बचने की कसम खिलाई।

वेंकटेश्वर राव ने ठीक ही कहा कि यह सम्मान व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे पुलिस बल का है। दरअसल, यह संदेश हर भारतीय के लिए है—यदि पुलिस बल अनुशासन और निष्ठा से काम करे तो उसका असर सीमाओं को पार कर जाता है।

ब्रिटेन की संसद में गूँजी यह भारतीय आवाज बताती है कि आज का भारत केवल अनुकरण करने वाला नहीं है, बल्कि विश्व मंच पर अपने अनुभव बांटने वाला भी है। प्रदेश पुलिस का यह सम्मान केवल उनका नहीं, पूरे देश का सम्मान है। अब जरूरत है कि यह जोश केवल पदक मिलने तक न रहे, बल्कि हर थाने से लेकर हर गाँव तक ‘नशे से दूरी’ का यह अभियान एक जनांदोलन बन जाए।

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