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अंतर्राष्ट्रीय वन मेला: 7 दिन में 7.5 करोड़ रुपये का कारोबार, तीन लाख सैलानियों की सहभागिता

अमन संवाद/भोपाल।

अंतर्राष्ट्रीय वन मेले ने अपने सात दिवसीय आयोजन में अभूतपूर्व सफलता दर्ज करते हुए जड़ी-बूटियों एवं वन उत्पादों की प्रत्यक्ष बिक्री से 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार किया, वहीं मेले के दौरान आयोजित बॉयर-सेलर मीट में लगभग 5 करोड़ रुपये के व्यावसायिक सौदे संपन्न हुए। मेले का समापन मंगलवार शाम जनजातीय कार्य, लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह तथा वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्री दिलीप अहिरवार के मुख्य आतिथ्य में हुआ।



समापन समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा कि वन मेला और बॉयर-सेलर मीट जैसे प्रयास वनवासियों को बिचौलियों के शोषण से मुक्त कर सीधे बाजार से जोड़ रहे हैं। इससे उन्हें उनके उत्पादों का वास्तविक मूल्य मिल रहा है और वन मेले की मूल भावना ‘समृद्ध वन—खुशहाल जन’ साकार हो रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जो श्री-अन्न पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ अतिरिक्त एक हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान कर रहा है, जिससे जनजातीय समाज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रहा है।

राज्य मंत्री श्री दिलीप अहिरवार ने कहा कि वन मेला केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को भी व्यापक मंच मिला है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशानुसार अगला अंतर्राष्ट्रीय वन मेला महाशिवरात्रि के अवसर पर उज्जैन में आयोजित किया जाएगा। मुख्यमंत्री की विशेष रुचि और प्रोत्साहन के चलते यह मेला प्रदेश की एक विशिष्ट पहचान बन गया है।

मेले के अंतिम दिन जड़ी-बूटियों और वन उत्पादों की खरीदारी को लेकर भारी उत्साह देखने को मिला। सात दिनों में कुल तीन लाख से अधिक सैलानियों ने मेले का भ्रमण किया। आयुर्वेदिक चिकित्सकों एवं पारंपरिक नाड़ी वैद्यों की ओपीडी विशेष आकर्षण का केंद्र रही, जहां हजारों मरीजों ने निःशुल्क परामर्श प्राप्त किया।

अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में कुल 350 स्टॉल लगाए गए, जिनमें 102 स्टॉल शासकीय संस्थाओं के थे। स्टॉल्स पर हर्बल रेसिपी, जड़ी-बूटियां एवं विविध वन उत्पाद प्रदर्शित किए गए। इसके साथ ही विशेष प्रदर्शनियां भी लगाई गईं, जिनमें डायनासोर प्रदर्शनी बच्चों के लिए खास आकर्षण रही।

मेले के छठे दिन आयुर्वेदिक चिकित्सकों और पारंपरिक नाड़ी वैद्यों की कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ नेपाल और भूटान से आए आयुर्वेदाचार्यों ने भी सहभागिता की।

समापन समारोह में विभाग की ओर से अतिथियों का सम्मान कर उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। मेले में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली संस्थाओं को विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कृत किया गया। साथ ही ओपीडी में निःशुल्क सेवाएं देने वाले आयुर्वेदिक चिकित्सकों और पारंपरिक वैद्यों को भी सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में वन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अशोक बर्णवाल, वन बल प्रमुख व्ही.एन. अंबाड़े, मध्यप्रदेश वनोपज संघ की प्रबंध संचालक श्रीमती समीता राजौरा सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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